अनुराग शर्मा सीहोर
पुरानी भाजपा जब विपक्ष में होती थी तो बैठकें और सुखदुख की बातें सार्वजनिक रूप से धर्मशालाओं में होती थी। हालांकि यह परम्परा सत्ता आने के बाद लगभग टूट गई थी, लेकिन अब सीहोर में भाजपा की पुरानी परिपाटी फिर देखने में तब आई, जब भाजपा के ‘नरेश’ नरेश मेवाड़ा बने। लंबे समय तक विपक्ष में रहने वाली भाजपा के सीहोर से जुड़े राजनीतिक इतिहास पर यदि नजर दौड़ाई जाए तो सेव-परमल, चना खाकर चलने वाली भाजपा की बैठकें बीते कुछ सालों में शानदार परिसरों में होने लगी, लेकिन अब जिला भाजपा संगठन में हुए बदलाव व श्री मेवाड़ा के बीजेपी नरेश बनने के बाद भाजपा अपने पुराने स्वरूप और पारम्परिक परिपाटी में दिखने लगी। यदि हम बीते एक माह में हुए आयोजनों की बात करें तो यह आयोजन अब सार्वजनिक दिखते भी हैं और सुनाई भी देने लगे हैं। भाजपा में फिर लौटी यह परम्परा संघर्ष के दौर में भाजपा का झंडा थामने वाले बीजेपी नेताओं को पसंद आ रही है।