–धुंआधार वृक्ष कटाई से सैंकड़ों बीघा जंगल का सफाया
-रेंजर से लेकर एसडीओ तक को डीएफओ का संरक्षण
शिवपुरी । शिवपुरी जिले में अराजकता का माहौल बनता दिखाई दे रहा है, वन विभाग की मिलीभगत से यहां जंगलों का सफ ाया हो रहा है अवैध उत्खनन चरम पर है। स्थिति यह है कि दीगर जिले और प्रांतों से तक जंगल माफि या यहां सैकड़ों एकड़ भूमि से जंगलों का सफ ाया कर रहे हैं। कार्रवाई के नाम पर फारेस्ट के आला अधिकारी मात्र बीट गार्ड स्तर के कर्मचारियों को निलंबन थमा कर पल्ला झाड़ रहे हैं। डोंगरी, बम्हारी और झिरन्या क्षेत्र में चल रहे बेतहाशा अवैध उत्खनन के चलते यहां बड़े पैमाने पर जंगल साफ कर दिया गया है, रिजर्व फारेस्ट के आउट एरिया में अवैध उत्खनन चल रहा है। खदान माफि या इस कदर हावी हैं कि सरकारी अमले पर धावा बोलने से नहीं चूक रहे। गत रोज हुई फायरिंग की घटना इसका जीवंत उदाहरण है जिसे विभाग दबाने में लगा है।
डोंगरी झोपड़ी के जंगल में अवैध उत्खनन के गोरखधंधे को फ ॉरेस्ट रेंजर और एसडीओ से लेकर डिप्टी रेंजर स्तर तक के अधिकारियों का सीधा संरक्षण प्राप्त है। सहरिया क्रांति ने इस पूरे खेल का खुलासा कर जब आंदोलन की घोषणा की तो डीएफ ओ ने कार्यवाही के नाम पर मात्र 1 बीट गार्ड को सस्पेंड कर पूरे मामले की इतिश्री कर ली, जबकि जाहिर सी बात है कि एक अदना सा फ ॉरेस्ट गार्ड बिना आला अधिकारियों की शह के अपने बूते ना तो बड़े पैमाने पर अवैध खनन करा सकता है और ना ही जंगल का सैकड़ों बीघा में सफ ाया कराने की ताकत रखता है। एक अदना से बीट गार्ड या
फ ॉरेस्ट कर्मचारी को सस्पेंड करने के बाद वन विभाग के आला अधिकारी अपनी फेस सेविंग कर रहे हैं जबकि मौके पर देखा जाए तो यहां समूचे रेंज में धुआंधार पैमाने पर अवैध उत्खनन और वनोन्मूलन का गोरखधंधा पनप रहा है। वन क्षेत्र में हो रहे अवैध उत्खनन पर वन विभाग की चुप्पी इस बात का परिचायक है कि फ ॉरेस्ट के अधिकारी इस पूरे खेल में सीधे शामिल हैं। सत्ताधारी नेताओं से खदान माफि याओं के तार जुड़े हुए हैं जिसके बूते यहां दबंगई के साथ आउट एरिया में रिजर्व फॉरेस्ट में अवैध उत्खनन किया जा रहा है। नियमानुसार जंगल क्षेत्र में चल रहे अवैध खनन को देखते हुए आसपास के एरिया की खदान लीज अविलंब निरस्ती योग्य है। हैरत कर देने वाला तथ्य है कि जिन नंबरों पर खदान स्वीकृत हैं वहां पत्थर ही नहीं है रिजर्व फ ॉरेस्ट में उत्खनन और स्वीकृत नंबर से रॉयल्टी जारी होने का खेल पिछले कई सालों से जारी है जो कि हाल के समय में और अधिक जोर पकड़ गया है। इन खदानों के निरस्ती प्रस्ताव पर प्रशासन मौन बना हुआ है। हाल ही बूड़दा के जंगल और इससे लगे इलाके में श्योपुर मुरैना और राजस्थान तक के लोगों ने आमद दर्ज करा कर करीब 200 बीघा भूमि से जंगल काट डाला। कुल मिलाकर वन विभाग के अधिकारियों की सांठगांठ से यहां हालात इस हद तक बदतर हो रहे हैं कि एक ओर जंगल साफ हो रहा है दूसरी ओर फारेस्ट का ईमानदार अमला दोहरी मार से त्रस्त हो उठा है। शिवपुरी के खेरोना, खुटौला चुरकुण्डा क्षेत्र में भी अवैध खनन फिर से जोर पकड़ गया है।