देवेन्द्र तिवारी
साँची नगर एक विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है यहां आये दिन अनेक देवी विदेशी पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आने वाले संग्रहालय में शासन के स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखाकर इस स्थल की छवि से बेपरवाह जगह जगह कचरे के ढेर से अभियान को असफल बनाने की कवायद से कल ई खुलती दिखाई दे रही है
जानकारी के अनुसार देशभर में प्रधानमंत्री योजना से स्वच्छता अभियान जोर शोर से चलाया जा रहा है तथा स्वच्छता अभियान पर शासन प्रशासन लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर नगर सहित गांव को स्वच्छता का जामा पहनाया जा रहा है
परन्तु नगर के ऐतिहासिक पुरातात्विक अवशेषों में संरक्षित सुरक्षित करने के लिए पुरातत्व विभाग के अंतर्गत संग्रहालय स्थापित किया गया था एक ओर नगर परिषद प्रशासन इस नगर की ऐतिहासिकता को देखते हुए स्वच्छता बनाने की कवायद में जुटा हुआ है जिसपर लाखों करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं परन्तु इस कवायद से पुरातत्व संग्रहालय जहां आये दिन देशी विदेशी पर्यटक पुरातात्विक धरोहरों को के दर्शनार्थ आते हैं इन सब कवायद से बेखबर संग्रहालय में इन दिनों स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखाकर साफ सफाई को
दरकिनार करने का दस्तूर जारी है संग्रहालय के मुख्य द्वार से लगे नाले कचरों से पूरी तरह भरे नजर आते हैं इतना ही नहीं संग्रहालय परिसर में भी जगह जगह कचरे सूखे पत्तों के ढेर लगे आसानी से दिख जाते हैं बताया जाता है कि संग्रहालय परिसर में साफ सफाई हेतु दैनिक वेतन पर श्रमिको को लगाया जाता है परन्तु मार्च का माहीना शुरू होते ही इन श्रमिको को कार्य से हटा दिया जाता है जबकि इसी मौसम में पतझड़ होता है जिससे पेड़ों से सूखे पत्ते गिरना शुरू हो जाते हैं जो कचरों का रूप ले लेते हैं जिससे गंदगी दिखाई देने लगती है जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को गंदगी का संदेश पहुंचने से नगर में स्वच्छता अभियान की तो धज्जियां उड़ती दिखाई देती है बल्कि देश विदेश में छवि भी धूमिल हो जाती है इस संग्रहालय को सुंदर बनाने तत्कालीन पुरातत्व विद जी एस गौर द्वारा परिसर के बीचों बीच एक महिला सर पर मटकी रखे का स्टेच्यू बनाया गया था जो संग्रहालय की सुंदरता में चार चांद लगा रहा था तथा यहां आने वाले पर्यटक इसकी प्रशंसा करते थकते नहीं
दिखाई देते थे परन्तु वर्तमान में पुरातत्व संग्रहालय प्रशासन की उपेक्षित नीति के चलते समय के साथ इस स्टेच्यू का रंग भी काला पड़ गया इसके आसपास भी सूखे पत्तों के ढेर दिखाई देने लगे हैं तब न केवल संग्रहालय प्रशासन प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान की धज्जियां उडा रहा है बल्कि नगर परिषद प्रशासन की कवायद को भी पलीता लगाने में पीछे नहीं दिखाई पड़ रहा जिससे नगर की छवि धूमिल होने से इंकार नहीं किया जा सकता ।