राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित 11वीं राष्ट्रीय बीज कांग्रेस-2022 का शुभारंभ
ग्वालियर।केंद्रीय मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर ने राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर द्वारा आयोजित 11वीं राष्ट्रीय बीज कांग्रेस-2022 का शुभारंभ दीप प्रज्वल्लित कर किया।
इस अवसर पर श्री तोमर ने राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के नवनिर्मित दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार का लोकार्पण व स्टेट अकादमी ऑफ़ एग्रीकल्चरल एंड अलाइड साइंसेस (SAAS) का भी शुभारंभ किया।
इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर NAAS व प्रादेशिक स्तर पर SAAS का प्रयास कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन विज्ञान व संबंधित अनुसंधान, शिक्षा, विस्तार के प्रोत्साहन- गतिविधियों को और गतिमान करेगा।उन्होंने कहा कि बीज सिर्फ फसल का ही नहीं, संस्कार का भी होता है। सृष्टि में हमें जो कुछ भी दिखाई देता है, वह बीज का ही परिणाम है। बीज की शुद्धता व सुंदरता ही वर्तमान एवं भविष्य की शुद्धता- सुंदरता है। खाद्यान्न व फल-सब्जी के बीज शुद्ध होंगे तो मनुष्य के शारीरिक स्वास्थ्य की सुंदरता रहेगी। वैज्ञानिक जब बीज का आविष्कार करता है तो उस पर देश व दुनिया की निर्भरता होती है, इसलिए उसकी शुद्धता, सुंदरता, आवश्यकता आदि को दृष्टिगत करते हुए काम करने से लाभ होता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत आज अधिकांश खाद्य उत्पादों के मामले में पहले या दूसरे क्रम पर है, यहां तक पहुंचने में किसानों के परिश्रम, सरकार की किसान हितैषी नीतियों व वैज्ञानिकों के अनुसंधान का योगदान है और कृषि उत्पादों की दृष्टि से हम सारी दुनिया में सीना तानकर खड़े हुए हैं। अब जलवायु स्थितियां बदल रही है, इस चुनौती के मद्देनजर काम करना होगा। हमारे वैज्ञानिकों ने अनुसंधान से बहुत प्रगति की है, अब दलहन-तिलहन में भीआत्मनिर्भरता होना चाहिए। इसके लिए सरकार मिशन मोड में काम कर रही है, लेकिन नीतियों व फंडिंग के साथ ही बीजों का आविष्कार ही ऐसा होना चाहिए जो उत्पादकता बढ़ाएं व देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएं। इसमें महती जवाबदारी कृषि वैज्ञानिकों की है, जिन्हें और काम करने की आवश्यकता है।
श्री तोमर ने कहा कि स्व. श्री ठेंगड़ी मौलिक चिंतक, राष्ट्रवादी विचारक, श्रमजीवी और ट्रेड यूनियन नेता थे। वे हमेशा कहते थे कि बीज रहेगा तो ही पौधा बन पाएगा। बीज को ही मार देंगे तो पौधे की कल्पना ही नहीं कर पाएंगे। उनके ही प्रयासों से भारतीय मजदूर संघ व भारतीय किसान संघ सशक्त हुए। किसी भी विचार को व्यापकता प्रदान करने की उनकी अद्भुत क्षमता थी। उन्होंने अ.भा. विद्यार्थी परिषद को भी मजबूती दी, वहीं मजदूरों व किसानों के हितों को सर्वोपरि रखा। ठेंगड़ीजी ने स्वदेशी जागरण मंच के साथ जुड़कर स्वदेशी भावना को बल दिया, जिससे स्थानीय उद्योगों के साथ राष्ट्र मजबूत हुआ, रोजगार के अवसर बड़ी संख्या में सृजित हुए। ठेंगड़ीजी के नाम पर सभागार बनना प्रेरणादायी है।
इस आयोजन में, देश में उन्नत बीज उत्पादन के क्षेत्र में हो रहे नए प्रयोगों, भविष्य की आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुए विशेषतः तिलहनी-दलहनी फसलों के उन्नत बीज उत्पादन की रणनीति पर विचार-विमर्श के बाद नीति तैयार की जाएगी। तीन दिवसीय इस सम्मेलन में देश के जाने-माने बीज उत्पादन विशेषज्ञ शामिल हुए हैं। समारोह विभिन्न पुरस्कार भी वितरित किए।