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प्रो.विपिन बिहारी शर्मा उच्च शिक्षा एवं गौवंश संवर्द्धन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रोफेसर सिकरवार स्मृति सम्मान से सम्मानित

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शिवपुरी से रंजीत गुप्ता

राजस्थान के भुसावर क्षेत्र के एक छोटे से गाँव से निकलकर आई.आई.टी. दिल्ली से दो जोड़ी कपड़ों में एम.टेक. और पीएच.डी. करने वाले श्योपुर के पी.जी. कॉलेज में पदस्थ फिजिक्स के प्रोफेसर विपिन बिहारी शर्मा को इस बार का आठवाँ प्रोफेसर चन्द्रपाल सिंह सिकरवार स्मृति सम्मान प्रदान किया गया. प्रोफेसर विपिन बिहारी शर्मा को यह सम्मान श्योपुर जैसे छोटे से कस्बे में 1993 में प्रोफेसर के रूप में पदस्थ होने के बाद से पिछले 29 सालों से आईआईटी, इंजीनियरिंग और मेडिकल कोर्स की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए निरंतर निःशुल्क क्लासेस संचालित करने, कॉलेज में नियमित रूप से पूरी प्रतिबद्धता के साथ पढ़ाने एवं गौसेवा, गौवंश के संवर्धन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रदान किया गया. गौरतलब है कि प्रोफेसर विपिन बिहारी शर्मा पूरे जोश और जुनून के साथ पिछले 29 सालों से श्योपुर जैसे छोटे कस्बे के विद्यार्थियों के जीवन-निर्माण, उनके कैरियर निर्माण के सपनों को एक नई उड़ान देने के काम में लगे हुए हैं. उनके पढ़ाये हुए बहुत सारे विद्यार्थी आज आई.आई.टी., एन.आई.टी. जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से, इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों से उच्च शिक्षा लेकर समाज-जीवन और राष्ट्र-जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता की बुलंदियों को स्पर्श किये हैं और आज भी कर रहे हैं. गरीब, जरूरतमंद विद्यार्थियों की आर्थिक सहायता करना भी प्रोफेसर विपिन बिहारी शर्मा की जिंदगी का हिस्सा है. उनकी इस उदार जीवन-दृष्टि और सहयोग के चलते कई गरीब विद्यार्थी अपनी शिक्षा पूरी कर आज अच्छे मुकाम पर हैं।

*अपनी सैलरी के 32 लाख रुपए खर्च कर श्योपुर में स्थापित की श्रीराम गौशाला*-

प्रोफेसर विपिन बिहारी शर्मा ने 2018 में अंतर्मन की आवाज पर, आत्मसंतुष्टि के लिए अपनी सैलरी से एकत्र 32 लाख रुपये खर्च करके श्योपुर से 4 किलोमीटर दूर 3 बीघा जमीन खरीदकर श्रीराम गौशाला स्थापित की है. जब लोग गायों को छोड़ देते हैं, आसपास जंगल में भी जब घास और चारा उपलब्ध नहीं होता है, उस समय एक बड़ी तादाद में गायें प्रोफेसर विपिन बिहारी शर्मा की गौशाला में होती हैं. सड़कों पर इधर-उधर भटकने वाली निराश्रित गायों को वे स्वयं गौशाला में लाकर उनकी सेवा करते हैं, चिकित्सा करते है. पूर्णतः निःस्वार्थ भाव से संचालित इस गौशाला में प्रोफेसर विपिन बिहारी प्रतिदिन अपनी साइकिल से जाकर वहाँ श्रमदान, गायों की सेवा और उनके लिए गौशाला में स्थित खेतों में घास काटने का काम भी जरूरत पड़ने पर स्वयं अपने हाथों से करते हैं. गायों के लिए ऑर्गेनिक खेती करके घास और चारा गौशाला पर स्थित खेतों में ही उगाया जाता है. कॉलेज की छत पर पिछले 20 सालों से प्रोफेसर बिपिन बिहारी शर्मा नियमित रूप से पक्षियों के लिए दाना-पानी भी रखते चले आ रहे हैं. आज के दौर में जब सरकारी सेवा के लोग पुरानी पेंशन, नए वेतनमान, महंगाई भत्ते की वृद्धि, बड़े महानगरों में पोस्टिंग के लिए लड़ते हैं, आंदोलन करते हैं, सरकारों को कोसते हैं, वहीं विपिन बिहारी शर्मा जैसे प्रोफेसर अपनी सैलरी के लाखों रुपये सामाजिक सरोकारों के लिए, मानवीय मूल्यों के संवर्धन के लिए खर्च करके समाज में एक नया आदर्श स्थापित कर उम्मीद की एक किरण और सकारात्मकता के ज्योतिपुंज के रूप में प्रेरणा का केंद्र बने हुए हैं. इसलिए आयोजन समिति द्वारा उन्हें इस बार का आठवाँ प्रोफेसर चन्द्रपाल सिंह सिकरवार स्मृति सम्मान प्रदान किया गया।

*ऋषि परंपरा आज भी समाज में जीवित है : कुलपति प्रोफेसर अविनाश तिवारी*
शास्त्रों और ग्रंथों से हमें पता चलता है कि भारत में ऋषि परंपरा रही है. किंतु यहां आकर प्रोफेसर चन्द्रपाल सिंह सिकरवार के बारे में सुनकर-जानकर उसी ऋषि परम्परा की अनुभूति हो रही है. उक्त उदगार जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अविनाश तिवारी ने मुख्य अतिथि की आसंदी से प्रोफ़ेसर चन्द्रपाल सिंह सिकरवार स्मृति सम्मान समारोह 2022 को संबोधित करते हुए व्यक्त किये. उन्होंने कहा कि प्रोफेसर चन्द्रपाल सिंह सिकरवार जैसे ऋषितुल्य व्यक्ति ने एक लंबे कालखंड तक देश, समाज और मानवता के हित में अपने जीवन को जिया है. प्रोफेसर विपिन बिहारी शर्मा जिन्हें यहाँ आज यह स्मृति सम्मान दिया गया है, उन्हें देखकर यह लग रहा है कि ऋषि परंपरा को वे आज भी जीवंत बनाए हुए हैं. कुलपति प्रोफेसर तिवारी ने कहा कि शिक्षक छात्र का संबंध एक सीमित संबंध है किन्तु गुरु शिष्य एक महान परम्परा है. गुरु शिष्य का संबंध बहुत गहरा है. यह समर्पण भाव का संबंध है.
*गर्व की अनुभूति करता हूँ उस धरती को कर्मभूमि बनाने का सौभाग्य मुझे मिला जहाँ प्रोफेसर सिकरवार ने समर्पण से भरा जीवन जिया – कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह*
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कलेक्टर शिवपुरी अक्षय कुमार सिंह ने बेहद भावुकता भरे अंदाज में कहा कि महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने एक बार महात्मा गांधी के संदर्भ में कहा था कि आने वाली पीढ़ियां यह विश्वास नहीं करेंगी कि हाड़-मांस का बना कोई ऐसा इंसान भी पृथ्वी पर था जो नैतिक जीवन मूल्यों से इतना भरा हुआ था. वही बात मैं प्रोफेसर चंद्रपाल सिंह सिकरवार जी के बारे में कह सकता हूँ कि हमें विश्वास करना कठिन होता है कि शिष्यों के लिए समर्पित कोई ऐसे गुरु शिवपुरी की धरती पर रहे हैं. कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने कहा कि वे गर्व की अनुभूति करते हैं कि बतौर कलेक्टर उन्हें उस धरती को अपनी कर्मभूमि बनाने का सौभाग्य मिला जहाँ प्रोफेसर चन्द्रपाल सिंह सिकरवार जैसे महनीय व्यक्तित्व ने देश और समाज के लिए एकनिष्ठ समर्पण का कठोर वज्रवती जीवन जिया है

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