अमृत मीणा जैसे कम ही अफसर है पुलिस महकमे में,जिनकी सह्रदयता और कर्मठता के कायल है लोग
दीपक कांकर
रायसेन।समाजसेवा के क्षेत्र में कई संस्थाओं एवं शासकीय अधिकारियों ने कार्य कर कई मिसाले कायम की है लेकिन पुलिस जैसे महकमे में रहते हुए समाजसेवा के लिए समय निकालना और ह्रदय से कार्य करना अपने आप मे एक अनुकरणीय पहल है। यहां यह जिक्र हम एक पुलिस अफसर का कर रहे है ।अमूनन पुलिस कठोर और संवेदन हीन मानी जाती है लेकिन हम इस बार ठीक इससे उलट एक ऐसे पुलिस अफसर का जिक्र कर रहे है जो बाकई में सबसे अलग और निराला है।जी हां हम बात कर रहे है रायसेन में पदस्थ अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमृत मीणा की जिनकी सहृदयता के किस्से रायसेन में तो आम है ही लेकिन जब वह भिंड जिले में पदस्थ थे तो वहां भी वह आम पुलिस से हटकर ही थे ।
श्री मीणा भिंड जिले में भी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रहे है।हम बात भिंड जिले की कर रहे है जहां उन्होंने अपनी पदस्थापना के दौरान ग्राम मुकटसिंह का पुरा में एक नेत्रहीन परिवार के लिए नवनिर्मित भवन का फीता काटकर इसके परिजनों को घर की चाबियां सौंपी।उस समय हर व्यक्ति के मन मे आदर और अपनत्व के भाव श्री मीणा के प्रति थे।हो भी क्यों न एक पुलिस अफसर एक पूरे नेत्रहीन परिवार की आखों की ज्योति जो बन गया था।
यहां यह उल्लेखनीय है कि नेत्रहीन परिवार रामचरण सिंह चौहान के परिवार में उनकी पत्नी व चारों बेटियां दृष्टिहीन है। इस खबर को समय-समय पर विभिन्न समाचार पत्रों द्वारा प्रकाशित किया जाता रहा था ।इन खबरों को पढ़ने के बाद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री मीणा ने इस परिवार से उनके घर जाकर इनका हाल जाना। हाल जानकर वह खुद अत्याधिक व्यथित हो गए उन्होंने दृष्टिहीन चौहान परिवार की पत्नी को अपनी बहन के रूप में अपनाया और कहा यह भाई जब तक जीवन रहेगा तब तक बहन के प्रति एक भाई का पूरा दायित्व निभाएगा।
उन्होंने भिंड के तत्कालीन कलेक्टर इलैया राजा टी को इस परिवार के बारे में विस्तार से बताया तथा किस तरह इस परिवार की मदद हो इस पर चर्चा की।तत्कालीन कलेक्टर इलैया राजा टी तुरन्त दृष्टिहीन परिवार को पचास हजार रुपए की मदद करवाई। श्री मीणा के अनथक प्रयास और प्रेरणा से इस दृष्टिहीन परिवार की मदद के लिए कई सामाजिक संगठन एवं समाजसेवी आगे आए सामाजिक न्याय विभाग द्वारा पेंशन हेतु कार्यवाही की।और जनपद पंचायत से पेंशन चालू हो गई। वहीं नेत्रहीन परिवार को शासन ने घर बनाकर दिया। नेत्रहीन परिवार को घर सोपते समय श्री मीणा ने कहा कि शोषित, पीड़ित असहाय लोगों की मदद के लिए समाज को आगेआना चाहिए जिससे पीड़ित व्यक्ति समाज की मुख्यधारा से जुड़ सके।
समाजसेवा के क्षेत्र में कई संस्थाओं एवं शासकीय अधिकारियों ने कार्य कर कई मिसाल कायम की है लेकिन पुलिस जैसे महकमे में रहते हुए समाजसेवा के लिए समय निकालना और असहाय व्यक्ति और उसके परिवार को अपनाना अपने आप एक मिसाल तो है ही अनुकरणीय पहल भी है। इसके लिए भिण्ड के तत्कालीन और वर्तमान में रायसेन के
अतिरिक्तपुलिस अधीक्षक व अमृत मीणा एक उदाहरण तो है ही साधुवाद के पात्र भी है। रायसेन जिले में भी उनकी सह्र्दयता,मिलनसारिता और आगे बढ़कर मदद करने की उनकी जीवन शैली लोगो को आकर्षित भी करती है और सम्मान और अपनत्व के भाव से देखती है।