पानी की टंकी में कचरा, बंद पड़े वाटर कूलर और टूटे खिड़की-दरवाजे के फ्रेम
रिपोर्ट:धीरज जॉनसन, दमोह
दमोह जिले में स्वास्थ्य महकमे की खामियों के समाचार सामने आते रहते है पर उनमें विशेष सुधार परिलक्षित नहीं हो रहा है,विगत दिनों शहर के एकमात्र सरकारी अस्पताल की विसंगतियों की खबरें भी सामने आती रही है। इससे यह भी अंदाज लगाया जा सकता है कि ग्रामीण अंचलों में मरीजों को कितनी बेहतर सुविधा मुहैया हो पा रही होगी।
ग्रामों में स्वास्थ्य केंद्र तो खोले गए है पर वहां भी किन्ही कारणों से पूर्ण सुविधाएं नहीं पहुंच पाती है।इन केंद्र में बीमारी की रोकथाम और उसका इलाज मुहैया कराया जाता है पर जिले के नोहटा ग्राम में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को देखकर लगता है कि यह बीमारी को आमंत्रण दे रहा है।
जिला मुख्यालय से लगभग 23 किमी दूर जबलपुर मार्ग पर बने इस सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में वैसे तो डॉक्टर,टेलीमेडिसिन, फार्मासिस्ट सुपरवाइजर,नर्स, एएनएम, एलएचवी,आउट सोर्स के कर्मचारी पदस्थ है पर यहां के हालात काफी खराब प्रतीत होते है।
परिसर में फैला वेस्ट मटेरियल
अस्पताल का कचरा जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा है वह परिसर में फैला हुआ है गद्दे,कपड़ों सहित मेडिकल वेस्ट के अंतर्गत आने वाले ग्लव्स,दवाइयों की खाली शीशी,आई वी सेट,इंजेक्शन जिन्हे विभिन्न श्रेणी में विभक्त करके निपटान किया जाना चाहिए, उन्हें अलग नहीं किया गया जबकि ये अपशिष्ट और संक्रामक पदार्थ इंसानों और प्रकृति के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते है। यहां तक कि एक स्टेथास्कोप बाहर की ओर लटका हुआ था।
पानी की टंकी में कचरा:ढक्कन नदारत
अस्पताल के भवन के छत पर रखी पानी की टंकियों को देखकर लगता है कि इन्हे काफी समय साफ नहीं किया गया क्योंकि इनकी तलहटी पर कचरा जमा हुआ था,कुछ के ढक्कन टूटे थे तो कुछ टंकियों को टाइल्स के टुकड़े से ढंक दिया गया था। एक टंकी के ढक्कन को पतले तार से बांधा गया था।आश्चर्य यह कि स्वास्थ्य के मुख्य स्रोत पानी की स्वच्छता का ही ध्यान नहीं रखा गया।
निकल गई खिड़की की जालियां, बिखरी पड़ी बोतल,पाइप और पत्थर
एक ओर जहां मच्छरों से बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाएं जा रहे है वहीं दूसरी ओर इस भवन की खिड़कियों से या तो जालियां गायब है या टूट चुकी है जिन्हे सुधारा नहीं गया इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां के कमरे मच्छरों के प्रकोप से कितने सुरक्षित होंगे। परिसर में पीछे की ओर शराब और बीयर की खाली बोतलें स्पष्ट नजर आ रही थी जिसे देखकर लगता है कि यहां सुधार की बहुत जरूरत है जिस पर अब तक ध्यान नहीं दिया गया है। यहां टैंक व पाइप लाइन भी डेमेज और बिखरी हुई पड़ी थी।
खराब पड़े वाटर फिल्टर और कूलर
अस्पताल के भवन के पीछे की ओर खराब हालत में वाटर कूलर रखा हुआ था तो भवन के अंदर वाटर फिल्टर सिस्टम भी बंद पड़ा हुआ दिखाई दिया, बताया गया कि इन्हे सुधारा जाएगा।आश्चर्य यह कि मेडिकल ऑफिसर का निवास भी परिसर में ही दिखाई दिया फिर भी अव्यवस्था व्याप्त थी।
दरवाजे,खिड़की, वाश बेसिन के टूटे फ्रेम
भवन के अंदर बने वॉश रूम की ओर जाने वाले दरवाजे के फ्रेम टूटे हुए थे तो खिड़की के ग्लास नदारत थे यहां तक कि वॉश बेसिन भी टूटा हुआ और इसके इर्द गिर्द गंदगी जमी हुई थी। पलंग से चादर गायब थे एक पलंग के बाजू की टेबिल पर चप्पल रखी हुई थी।परिसर में मवेशी द्वारा फैलाई गंदगी भी स्पष्ट नजर आ रही थी। ग्रामीणों ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टर नहीं रहते,सफाई और पानी की उचित व्यवस्था भी नहीं है,इलाज के लिए दमोह जाना पड़ता है।
आश्चर्य यह है कि स्वास्थ्य को आवश्यक सेवा के अंतर्गत भी माना जाता है और इस पर काफी राशि व्यय की जाती है पर ग्रामीण अंचलों में बेहतर इलाज का सफर अभी भी कठिन लगता है, जब दमोह-जबलपुर सड़क मार्ग पर बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के यह हालात है तो सुदूर इलाकों में तो इलाज से एहतियात ही बेहतर होगा।
“दिखवाते है,बीएमओ से कह दिया है”
-डॉ. एस एस मौर्य मेडिकल ऑफिसर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र,नोहटा
न्यूज स्रोत:धीरज जॉनसन