दमोह से धीरज जॉनसन
ऐतिहासिक दृष्टि से संपन्न जिले के अधिकांश जगहों पर प्राचीन धरोहर बिखरी और जंगलों और झाड़ियों में छुपी हुई भी दिखाई देती है जहां आज तक न तो किसी का ध्यान गया और न ही इन्हे संरक्षित किया गया है।
शहर से करीब 50 किमी दूर सिंगौरगढ़ के किले के पास के जंगलों में भी बिखरे हुए पत्थरों का ढेर दिखाई देता है जिससे प्रतीत होता है कि पूर्व में यहां कुछ निर्मित था जो अब नेस्तनाबूद हो गया है और इसके आस पास सात से आठ फीट लंबे नक्काशीदार आकृति वाले शिलालेख झाड़ियों में पड़े हुए है जो घने जंगल के बीच होने के कारण सामान्यतः दिखाई नहीं देते है यहां के कुछ स्थानीय लोगों को इनकी जानकारी है और वे भी चाहते है कि ये प्राचीन धरोहर है इनका संरक्षण किया जा सकता है।
जंगल में पैदल चलकर और काफी मुश्किलों के बाद ढूंढने पर ये शिलालेख दिखाई दिए जमीन में दबे हुए एक पत्थर को देखना तो नामुमकिन था परंतु जो झाड़ियों में दबे हुए थे उन्हें साफ किया गया तो पाया गया कि यह करीब सात आठ फीट लंबे है और इन शिलालेख की मोटाई भी लगभग नौ-दस इंच थी इसमें कुछ अंकन भी था पर वह अस्पष्ट था और इनमें विभिन्न आकृतियां भी बनी हुई थी,जिसे देखकर लगता है कि इन पर किसी का ध्यान अब तक नहीं गया। स्थानीय निवासी सचिन साहू ने बताया कि यहां अभी भी कुछ ऐसे ऐतिहासिक स्थान है जिन्हे खोजा नहीं गया जो काफी महत्वपूर्ण है इन्हे संरक्षित करने के आवश्यक प्रयास किए जा सकते हैं।
न्यूज स्रोत:धीरज जॉनसन