कांग्रेस नहीं चाहती कि स्थानीय चुनाव हों,याचिकायें लगवाकर रुकवाएं चुनाव
धीरज जॉनसन की रिपोर्ट
दमोह। नगरीय निकाय एवं पंचायत चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण करने के संबंध में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रदेश सरकार पारित आदेश में संशोधन का आवेदन दायर करके पुनः अदालत से आग्रह करेंगी कि प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के साथ ही पंचायत एवं स्थानीय निकाय चुनाव सम्पन्न हों, उक्त बातें भाजपा की प्रदेश मंत्री लता वानखेड़े ने पत्रकार वार्ता में कही।
उन्होंने बताया कि बिना ओबीसी आरक्षण के नगरीय निकाय एवं पंचायत चुनाव कराये जाने की वर्तमान परिस्थिति कांग्रेस के कारण निर्मित हुई है।प्रदेश में तो 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव प्रक्रिया चल ही रही थी, किन्तु कांग्रेस इसके विरूद्ध हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गई, जिससे होने वाले चुनाव प्रभावित हुए एवं व्यवधान उत्पन्न हुआ।
प्रदेश सरकार ने आयोग बनाकर 600 पेज की जो रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की, उसमें प्रदेश में ओबीसी वर्ग की आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक परिस्थितियों के साथ एरियावाईज संख्या के आंकड़े विस्तृत रूप से प्रस्तुत किए थे। जिसमें बताया गया था कि 48 प्रतिशत से ज्यादा ओबीसी मतदाताओं की औसत संख्या प्रदेश में है। कुल मतदाताओं में से अजा/अजजा के मतदाताओं के अतिरिक्त शेष मतदाताओं में अन्य
पिछडावर्ग के मतदाताओं की संख्या 79 प्रतिशत है, यह भी आयोग की रिपोर्ट में पेश किया गया था,पर कमलनाथ सरकार ने विधानसभा में 8 जुलाई 2019 को मध्यप्रदेश लोकसेवा आरक्षण संशोधन विधेयक में यह भ्रामक और असत्य आंकड़ा प्रस्तुत किया कि ओबीसी की प्रदेश में कुल आबादी सिर्फ 27 प्रतिशत है। यह कांग्रेस का वह असली ओबीसी विरोधी चेहरा है जो प्रदेश की विधानसभा के दस्तावेजों में सदैव के लिए साक्ष्य बन गया है। नगरीय निकायों के चुनाव प्रमुख रूप से नवम्बर 2019 को होना निर्धारित थे, परन्तु तत्समय कांग्रेस सरकार द्वारा चुनाव नहीं कराये।कांग्रेस चुनाव कराने से हमेशा डरती है क्योंकि उनको इस बात का संज्ञान था कि उनका जनाधार पूरी तरह से समाप्त हो चुका है कमलनाथ सरकार द्वारा त्रुटिपूर्ण तरीके से किये गये परिसीमन करते हुए नवीन पंचायतें बनाई गई एवं कई पंचायतों को समाप्त करते हुए उनकी सीमाओं में बदलाव किया गया जिससे ओबीसी को दिया जाने वाला आरक्षण प्रभावित हुआ। हमारे मुख्यमंत्री द्वारा द्वारा 21 नवम्बर 2021 को मध्यप्रदेश पंचायत राज्य और ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश के माध्यम से कांग्रेस सरकार द्वारा पूर्व में किये गये त्रुटिपूर्ण परिसीमन को निरस्त करते हुए यथास्थिति बनाई।
भाजपा ने प्रदेश में वर्ष 2004 से लगातार 3 ओबीसी के मुख्यमंत्री प्रदेश को दिये। मंत्रिमण्डलों में भी ओबीसी के मंत्रियों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व / स्थान दिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने ओबीसी की केन्द्रीय सूची का दर्जा बढ़ाकर इस सूची को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया और इसमें परिवर्तन करने के लिए संसद को शक्ति प्रदान की। संविधान संशोधन अधिनियम 2018 राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को संवैधानिक दर्जा दिया। मुख्यमंत्री चौहान ने स्वयं दिल्ली जाकर उच्चतम न्यायालय के उपरोक्त निर्णय में संशोधन किये जाने का आवेदन लगाये जाने के लिये सॉलिसिटर जनरल से चर्चा की तथा निर्णय को संशोधन कराये जाने का प्रयास किया जा रहा है। आदेश में संशोधन की आवश्यकता इसलिए भी है क्योंकि वर्ष 2022 में नया परिसीमन त्रिस्तरीय पंचायतों का किया गया है तथा वर्ष 2019 से 2022 के मध्य 35 नये नगरीय निकाय गठित हुए हैं, इन नगरीय निकायों में ग्रामीण क्षेत्र से 128 ग्राम पंचायतें तथा उनके 297 ग्राम नगरीय निकायों में चले गये हैं जबकि उच्चतम न्यायालय के आदेश में वर्ष 2019 में त्रिस्तरीय पंचायतों के परिसीमन के आधार पर चुनाव कराये जाने के के निर्देश दिये गये हैं। जिससे कई विसंगतियां उत्पन्न होगी। भाजपा चाहती है कि चुनाव पिछडे वर्ग के आरक्षण के साथ हो।
इस अवसर पर पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश महामंत्री संजय राय, जिला महामंत्री सतीश तिवारी,जिला उपाध्यक्ष संजय सेन,मीडिया प्रभारी राघवेंद्र सिंह परिहार,महेंद्र जैन,शिवशंकर पटेल सहित पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
न्यूज स्रोत:धीरज जॉनसन