वर्षों से सफाई के इंतजार में राजनगर तालाब:पानी में दिखाई देने लगे हाईड्रिला, तालाब की दूसरी छोर पर झाड़ियों से घिरी प्राचीन गढ़ी
पुरातात्विक महत्व के स्थल तक जाने का नहीं हैं मार्ग
रिपोर्ट धीरज जॉनसन,दमोह
वर्षो से शहर को पानी की आपूर्ति करने वाला लगभग 19 वर्ग किमी केचमेंट एरिया का राजनगर तालाब एक बार फिर सालों से सफाई न होने के कारण चर्चा में बना हुआ है। अगर अभी ठंड के मौसम में यह काम नहीं किया गया तो गर्मी के मौसम में गंदगी और बदबू बढ़ने की संभावना है। गर्मियों के समय में पानी में पीलापन आने लगता है और उस समय किसी भी प्रकार की सफाई, ब्लीचिंग या केमिकल भी महत्व नहीं रखते है।
नहीं खोला गया स्कॉउर वॉल्व
एक जानकारी के अनुसार बारिश के बाद स्कॉउर वाल्व जो पानी की तलहटी पर लगाया जाता है इसे खुलना चाहिए जिससे नीचे के पानी में जमा गंदगी साफ हो जाती है परंतु यह भी वर्षो से खोला नहीं गया है। शायद इसमें भी अब तक काफी कचरा जमा हो चुका होगा। शायद टेंडर में सफाई को शामिल किया जाए।
जुझार घाट से आ रहा पानी
शहर को पानी पहुंचाने में राजनगर तालाब का अहम योगदान रहा है परंतु अब पानी उससे कुछ किमी आगे जुझार घाट (ब्यारमा नदी) से आ रहा है क्योंकि राजनगर का पानी गंदा है।जुझार में पंप इसलिए इंस्टॉल किया गया था जिससे राजनगर में पानी भेजा जा सके, परंतु अब वहां से पानी शहर आ रहा है,अन्य कोई साधन भी परिलक्षित नहीं है कि राजनगर को भरा जा सके।
इंजीनियर भी आंकलन नहीं पाते पम्प और इंटेकवेल की क्षमता!
जानकारी यह भी है कि राजनगर से दमोह फिल्टर प्लांट तक 500 एम एम की पाइप लाइन आना है क्योंकि वर्तमान की लाइन डबल पम्प चलाने के लायक नहीं है।
पहले यहां सौ – सौ एचपी के पंप थे जो प्रति सेकेंड 176 लीटर पानी प्लांट के लिए निकालते थे,अब 312 एचपी के पम्प लगा दिए गए है जिनकी संख्या 3 बताई जाती है जो प्रति सेकेंड 190 लीटर पानी दे रहे है। अब यह भी सुना जा रहा है कि नया इंटेकवेल बन सकता है जहां ये पम्प शिफ्ट होंगे, परंतु इससे क्या परिवर्तन आएगा यह कहा नहीं जा सकता पर योजना बनाने वाले को लाभान्वित कर सकता है आश्चर्य और शोध का विषय यह है कि पंप लगाने के पहले चिंतन नहीं किया गया, जिससे आर्थिक बचत हो जाती या इन्होंने दूरगामी लाभ को ध्यान में रखा!
हाइड्रिला की मात्रा बढ़ने से पानी में फैल सकती है गंदगी
अब इस में हाईड्रिला की मात्रा भी बढ़ गई हैं पानी के घनत्व के कारण पानी में ऑक्सीजन की पूर्ति (एरियेशन) कठिन है क्योंकि यहां काफी एरियेटर लगाने होंगे जो बिजली से चलाए जाते है।
अभी सफाई इसलिए भी संभव है क्योंकि पानी जुझार से आ रहा है। अन्यथा बाद में पानी के पीले पन,गंदगी और बदबू की शिकायत भी सामने आने लगती है।
हाईड्रिला धूप के बाद रंग छोड़ती है तो पानी में आयरन और मैग्नीशियम की मात्रा बढ़ जाती है और सप्लाई के समय उसमे फिटकरी (एल्यूमिना फेरिक) मिलाने पर आयरन की मात्रा बढ़ सकती है जो ऑक्सीजन से रिएक्शन के बाद पानी का रंग गहरा पीला या हलका लाल हो जाता है। ऐसा भी अंदाजा लगाया जाता है कि अगर जुझार का पानी कम हुआ और राजनगर का पानी समय पर साफ नहीं किया गया तो यह इस्तेमाल योग्य नहीं रहेगा।
इस संबंध में जब दमोह नगर पालिका के एसिस्टेंड इंजीनियर मेघ तिवारी से इसके खर्च, बजट, टेंडर, पंप,इंटेकवेल इत्यादि के संबंध में उनका पक्ष जानने के लिए उनके मोबाइल नंबर पर लगातार कॉल किया गया पर उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।
पगडंडी से पहुंचते है प्राचीन गढ़ी
तालाब के दूसरे छोर से बहुत ही खूबसूरत नजारा और एक प्राचीन गढ़ी दिखाई देती है जिसकी अब दीवार ही शेष है,हालांकि मुख्य सड़क मार्ग पर एक बोर्ड लगा हुआ है जिस पर उसकी दूरी 4 किमी दर्ज है परंतु यहां तक पहुंचने के लिए पगडंडी और ऊबड़ खाबड़ रास्ता तय करना पड़ता है जबकि बोर्ड में यह भी लिखा है कि यह राष्ट्रीय महत्व का स्मारक और राष्ट्रीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन है पर लगता है यह भी विस्मृति के गर्त में समाता जा रहा है।