पंडित रामकृपालू शास्त्री जी ने आशीर्वावचन कहे
आयोजित कार्यक्रम श्री दुर्गा जी की बर्षगाँठ पर भव्य सीता राम कीर्तन टेकरी धाम मुआर दुर्गा मंदिर पर आयोजन हुआ
सिलवानी रायसेन से देवेश पाण्डेय
सिलवानी तहसील के ग्राम मुआर में माँ जगदम्बे की बर्षगाँठ पर डॉ रामाधार आचर्य जी के प्रेणास्त्रोत से भव्य श्री सीता राम संकीर्तन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में श्री श्री 1008 ब्रह्मचारी जी महाराज,श्री श्री1008 रामदास त्यागी जी टॉटम्बरी सरकार सानिध्य में सम्पन्न हुआ।
श्रद्धालुओं को श्री आश्रीवचन श्रवण कराते हुए ब्रह्मचारी जी महाराज ने कहाँ की सत्यसंग विना परमात्मा की प्राप्ति नही हो सकती,ओर सत्य संग परमात्मा की कृपा से ही प्राप्त होता है। अतः अपने जीवन मे स्वार्थ,मोह,माया अहंकार का त्याग करें श्री सीता राम संकीर्तन यह वह महाकुंभ है। जहां पापी से भी पापी जीव आत्मा तर जाती है। कलयुग में भगवान सिर्फ वाणी से ही प्रशन्न हो जाते है अतः वाणी में हमेशा भजन ही होवे। भगवान भाव के भूखे होते हैं, जो प्राणी अपनी अंतर आत्मा से भगवान को पुकारता है। भगवान सदा उसकी रक्षा करते हैं। संसार परमात्मा की ही सत्ता है। इसके बाद भी जीव मूर्खतावश संसार की वस्तुओं को अपना समझ बैठता यह जीव की सबसे बड़ी भूल है। जीव को चाहिए कि वह परमात्मा की सबसे बड़ी सत्ता का अनुभव और चिंतन करते हुए जीवन निर्वाहन करें। ताकि इस माया रूपी संसार में रहते हुए जीव मोक्ष को प्राप्त करें।
तीर्थ पर किए गए धर्म-कर्म, दान, सेवा और सत्कर्म से कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता है। कथाकारों के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पौराणिक ज्ञान से संपूर्ण मानव जाति के जीवन यापन और कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है।।जीव का घर यहां नही है। जीव का धन पैसा नही है। जीव का धन तो उसके द्वारा कमाया हुआ पुण्य है। ये संसार के सभी रिश्ते नाते,यही छूट जायेगे ये सब मानव के द्वारा निर्मित है।जीव का रिश्ता तो परमात्मा से है। ये मानव तन बड़ी मुश्किल से प्राप्त होता है लाखो योनि के भटकने के बाद ऐसा सत्यकर्म करो कि फिर भटकना न पड़े,जीव का यतार्थ सत्य है कि उस की मर्त्य पर जीव आज भी न समझ बनकर बैठा हुआ है ।दान धर्म नित्य किर्योओ से दूर है।
सीताराम कीर्तन में राख बाले दादा जी महाराज, श्री महंत ब्रजकिशोर दास जी महाराज राम जानकी मंदिर कुटी बोरास,
श्री महंत महगवां मंदिर, रामकृष्ण त्यागी जी महाराज रोशरा, पंडित श्री राजेन्द्र शास्त्री जी चौरास, पंडित रामकृपालू जी शास्त्री बीकलपुर,टेकरी पुजारी अप्पू महाराज सहित संतो का आगवन हुआ।
एवं नगर भंडारे में कन्या सहित सभी ने भोजन परसादी ग्रहण की।