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काछी कानाखेड़ा में 3 साल पहले स्कूल के एक हिस्से की गिर गई थी छत, उसी भवन में खतरे के साए में शिक्षा लेने को मजबूर नौनिहाल

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3 साल में गिरी हुई छत के सरिये भी नही हटा पाए ज़िम्मेदार
-अधिकारी जानकारी होने के बाद भी किसी बड़े हादसे के इंतज़ार में

सलामतपुर रायसेन से अदनान खान की ग्राउंड रिपोर्ट

सरकार द्वारा शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर तमाम तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके बावजूद आज भी बच्चे टूटे-फूटे बरसों पुराने जर्जर भवन में डर के साए में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। ऐसा ही एक मामला है रायसेन जिले के विश्व प्रसिद्ध नगरी सांची कि नगर परिषद के वार्ड काछी कानाखेड़ा स्थित शासकीय प्राथमिक शाला भवन का सामने आया है। जहां स्कूल भवन के एक हिस्से की छत 3 साल पहले भरभरा कर गिर गई थी। यह तो गनीमत थी कि यह हादसा रात के समय हुआ नहीं तो बड़ी घटना भी हो सकती थी। वहीं 3 साल बीतने के बाद भी शासन प्रशासन का इस और कोई ध्यान नहीं गया है आज भी इसी भवन मे बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं। आज भी गिरी हुई छत के लोहे के सरिए नीचे लटक रहे हैं। ऐसे में स्कूल पढ़ने आने वाले छोटे बच्चे घायल भी हो सकते हैं। कई स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि कई बार गांव वालों ने भी शासन-प्रशासन से इस मामले की शिकायत की है मगर कोई निराकरण नहीं हुआ है। वहीं स्कूल के शिक्षकों द्वारा भी विभाग को इस स्थिति से अवगत करा दिया गया है। मगर जिम्मेदारों द्वारा इस और ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अब सवाल यह उठता है कि जब स्कूल के एक हिस्से की छत गिर गई है तो बाकी के हिस्से में स्कूल की कक्षाएं क्यों लगाई जा रही हैं। ऐसे में बच्चे डर के साए में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। कोई बड़ी दुर्घटना कभी भी हो सकती है। दूसरी और ग्रामीणों को भी अपने बच्चों को इस स्कूल भेजने में डर लगता है। ग्रामीणों का कहना है कि जब स्कूल के एक हिस्से की छत गिर गई बाकी के हिस्से की भी कोई गारंटी नहीं छत कब गिर जाए।

छतिग्रस्त भवन के पास ही लगती है आंगनबाड़ी–काछी कनाखेड़ा प्राथमिक शाला के पास ही आंगनबाड़ी भी लगती है। जिसमें गांव के छोटे छोटे बच्चे भी आते हैं। टूटी हुई छत से लोहे के सरिये इतने नीचे लटके हुए हैं कि अगर बच्चे सावधानी नही बरते तो गंभीर रूप से घायल हो सकते हैं। शासन-प्रशासन को चाहिए कि कम से कम इन लोहे के सरियों को ही कटवा दिया जाए ताकि कोई अनहोनी ना हो सके। लेकिन प्रशासन के आला अधिकारी अपने गैरज़िम्मेदाराना रवैये के चलते 3 वर्ष बीत जाने के बाद भी गिरी हुई छत के बाहर निकले हुए सरिये भी नही कटवा पाई।

डेढ़ साल पहले अम्बाड़ी गांव में स्कूल की दीवार गिरने से हो चुकी है बच्ची की मौत–
काछी कनाखेड़ा प्राथमिक शाला में बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ रहे हैं। लेकिन शिक्षा विभाग ने डेढ़ वर्ष पूर्व ही हुए ग्राम अम्बाड़ी के हादसे से सबक नहीं लिया है। जिसमें 21 अप्रैल 2022 को शासकीय प्राथमिक शाला अम्बाड़ी स्कूल की बाउंड्री वाल गिरने से एक बच्ची की दर्दनाक मौत हो गई थी। घटना के बाद पूरा के पूरा जिला प्रशासन मौके पर पहुंच गया था। 2 शिक्षकों को सस्पेंड भी किया गया था। वहीं हमेशा की तरह छोटे कर्मचारियों को ही बलि का बकरा बनाया गया था। शिक्षकों का कहना है कि उन्होंने कई बार वरिष्ठ अधिकारियों को भवन की जर्जर हालत के बारे में लिखित में दिया है। अभी तक कोई भी जवाब नहीं आया है। जिस शिक्षा के मंदिर में छात्र अपनी नींव गढ़ रहे हैं वो ही जर्जर स्थिति में है। ऐसे में छात्रों पर कभी भी अनहोनी घटना होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। यह बात हम नहीं बल्कि जर्जर भवन की दीवार व सिलिंग खुद बयां करती नजर आ रही है। इसका एक नमूना काछी कनाखेड़ा की प्राथमिक शाला है। जहां जिम्मेदारों द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है और किसी बड़ी अनदेखी के इंतज़ार में बैठे हैं।

इनका कहना है।
काछी कानाखेड़ा प्राथमिक शाला भवन लगभग 30 वर्ष पहले बनाया गया होगा। स्कूल की छत का 1 हिस्सा गिरने के बाद भी अन्य हिस्से में कक्षाएं लगाना बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ करना है। ज़िम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होना चाहिए।
बबलू पठान, वरिष्ठ कांग्रेस नेता।

3 साल पहले स्कूल भवन के एक हिस्से की छत गिर चुकी है।जिसकी शिकायत आला अधिकारियों से लेकर मंत्री जी से तक कर चुके हैं।कई बार स्कूल के शिक्षक भी जिला शिक्षा अधिकारी को इस मामले से अवगत करा चुके हैं। लेकिन कोई भी सुनवाई नही हो रही है। जबकि इसी छतिग्रस्त भवन में स्कूल की कक्षाएं निरंतर लग रही हैं। कहीं किसी दिन कोई बड़ा हादसा ना हो जाए।
रिंकू कुशवाह, स्थानीय ग्रामीण काछी कनाखेड़ा

हमारे बच्चों को स्कूल भेजने में डर लगता है कि कहीं फिर से स्कूल की छत ना गिर जाए। 3 वर्ष पहले भी छत गिरते समय बड़ा हादसा हो सकता था। वो तो गनीमत रही थी कि छत रात के समय गिरी थी। अगर यही हादसा दिन के समय होता तो कई बच्चों की जान भी जा सकती थी।जानकारी होने के बाद भी ज़िम्मेदार अधिकारी इस और ध्यान नही दे रहे हैं।
लक्ष्मी पाल, काछी कनाखेड़ा

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