तार फैंसिंग पार कर पहुंचते है रेवंझाघाट टपरिया :एक तरफ नदी दूसरी ओर खेत,मुख्य मार्ग तक जाने का नहीं है रास्ता
दमोह से धीरज जॉनसन की रिपोर्ट
दमोह जिले में आज भी ग्रामीण विकास की हकीकत को बयां करते सड़क विहीन ऐसे इलाके मौजूद है जहां के नागरिकों की चिंता शायद परिस्थितिवश की जाती रही हो।
जिला मुख्यालय से करीब 48 किमी दूर हटा विधानसभा के पटेरा तहसील के अंतर्गत सिंगपुर ग्राम पंचायत के अंतर्गत रेवंझाघाट टपरिया पहुंचने के लिए पहले खेतों की सीमा पर लगी तार फेसिंग को पार करना पड़ता है फिर पैदल पगडंडी और खेतों से होते हुए यहां पहुंचते है इसके दूसरी ओर ब्यारमा नदी दिखाई देती है जो इस अंचल के प्राकृतिक सौंदर्य और भी खूबसूरत बना देती है। परंतु लोगों से बातचीत के दौरान वर्षो से उनके अंदर का दर्द शब्दों से बयां होने लगता है।

यहां एक प्राथमिक सरकारी स्कूल है जहां प्रवेशित छात्रों की संख्या 21 और दो शिक्षक यहां पदस्थ है,छोटे बच्चे बिना जूते चप्पल पहने ही घर से स्कूल तक आते है और पीने का पानी भी घर से ही लाते है क्योंकि स्कूल में हैंडपंप नहीं है।

स्कूल के शिक्षक रामस्वरूप स्कूल में मिले बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि 150 से अधिक की आबादी वाले इस क्षेत्र में अभी आंगनबाड़ी नहीं है,पर समीप के गांव में है।बारिश के मौसम में वे स्वयं अपना दोपहिया वाहन पास के गांव में रखते है और फिर छोटी नाव के द्वारा नदी पार करके बाजार इत्यादि का काम करते रहे है क्योंकि पैदल पगडंडी भी बंद हो जाती है। वर्तमान में स्कूल की सामग्री भी पैदल खेतों की मेढ़ों से ही लाना पड़ती है। शिक्षिका पी राजपूत ने बताया कि खेतों में तार फैंसिंग हो जाने से स्कूल आने जाने में बहुत दिक्कत होती है खेतों में पैदल चलना भी मुश्किल होता है।

मुख्य मार्ग से रेवंझाघाट टपरिया तक रास्ता की मांग वैसे तो पूर्व में भी ग्रामीणों के द्वारा की गई और जनप्रतिनिधि से लेकर प्रशासन तक पत्र भी दिए गए परंतु रास्ता अब तक नहीं बन सका,कहते है कि एक सरकारी सैर हुआ करती थी पर वह भी अब बंद हो गई है।
स्थानीय निवासी नारायण,प्रकाश, नीलेश,प्रेमलाल, कृपाल,लल्लू ने बताया कि पैदल चलने लायक रास्ता भी नहीं है,बच्चे भी मुश्किल से स्कूल जाते है,कई वर्षो से समस्या है कोई बीमार हो जाए तो खाट पर ले जाना पड़ता है कहीं कहीं कब्जा भी है,आवेदन दिया, पहल हुई,प्रयास हुआ पर समाधान नहीं हुआ। इस संबंध में जब पटेरा तहसीलदार जे. उइके से जानकारी ली तो उन्होंने कहा कि वे जल्द ही चैक करवाएंगे।

“हम दिखवाते है पंचायत से बात करके प्रक्रिया आगे बढ़ाएंगे”
–पी एल तंतुवाय विधायक – हटा
“एक सरकारी मार्ग है पैदल आने पर एक निजी खेत पर आकर बंद हो जाता है,अगर दानपत्र लिख दें तो मार्ग बन सकता है, आस पास सरकारी भूमि पर अतिक्रमण भी है वह हट जाएगा,शिकायत,सूचना दी गई थी,सड़क बनाना पंचायत का काम है”
-ए.पौराणिक पटवारी
“सड़क नहीं है,लगानी जमीन है,अगर किसान सहमत हो जाएं और दानपत्र दे दें, तो रास्ता बन सकता है,अभी मेढ़ो से आना जाना होता है,कोई बीमार हो जाए तो खाट पर ले जाना पड़ता है,सड़क तक पहुंचना बहुत मुश्किल होता है”
प्रकाश,सरपंच