सांची रायसेन से देवेन्द्र तिवारी
इन दिनों नगर में चल रही नगरीय निकाय चुनाव की गतिविधियां तेज हो उठी है तथा नगरीय निकाय चुनाव में हिस्सा लेने वाले उम्मीदवारों ने अपने अपने फार्म तो जमा कर दिए हैं तथा जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब फार्म वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है राजनीतिक दलों ने जिन लोगों को टिकिट दिये है वह तो चुनाव लड ही रहे हैं परन्तु जिन लोगों को टिकिट नहीं मिल सके वह भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में कूदे चुके हैं जिससे चुनाव में होने वाली हारजीत रोचक हो गई है तथा बहुत से लोगो में चुनावी टिकट न मिलने पर असंतोष बढ गया है सांची में कुल 15 वार्ड हैं इनमें अधिकांश वार्ड में असंतुष्टों की लंबी फेहरिस्त बन चुकी है स्थानीय नेताओं की समझाइश भी काम नहीं आ रही है कांग्रेस में तो वैसे भी उम्मीदवारों की कमी किसी से छिपी नहीं है यही कारण रहा जब कांग्रेस तो कुछ वार्डों में उम्मीदवार खड़े करने में भी नाकाम रही है । इस नगरीय निकाय चुनाव में सबसे अधिक असंतोष भाजपा के बीच उभर कर सामने आ गया है जिसमें अनेक कार्यकर्ता टिकट की आस लगाए बैठे थे परन्तु टिकट नहीं मिलने से नाराज़गी के चलते निर्दलीय रूप से चुनाव मैदान में कूद पड़े हैं जिससे भाजपा उम्मीदवारो का गणित गड़बड़ाने लगा है असंतुष्टों की शिकायत भी संगठन तथा बड़े नेताओं तक पहुंच गई है असंतुष्टों की जानकारी क्षेत्रीय विधायक तथा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभूराम चौधरी को भी लग चुकी है तब असंतुष्टों को मनाने फोन की घंटी तो खनखना ही रही है साथ ही स्वास्थ्य मंत्री डॉ चौधरी को असंतुष्टों को मनाने मशक्कत करनी पड़ रही है बताया जाता है इनमें कुछ असंतुष्टों ने तो अपनी जीत के दावे भी करने शुरू कर दिए हैं इतना ही नहीं बताया तो यहां तक जाता है कि सरकारी कर्मचारियों पर उनके रिश्तेदारों को भी चुनाव मैदान छोड़ने के दवाब बनाये जा रहे हैं कुछ तो ऐसे लोग भी शामिल हैं जिन्हें पार्टी में कोई तवज्जो नहीं मिल सकी तथा कुछ लोगों की नाराज़गी का कारण समाज के किसी व्यक्ति को टिकिट न देना भी कहीं न कहीं भारी पड़ सकता है कुछ लोग ऐसे भी दिखाई दे रहे हैं जो सालों से पार्टी में लगन वह निष्ठा से जुटे हुए हैं परन्तु चुनाव टाइम पर टिकिट निष्क्रिय लोगों के हाथों पहुंच जाता है रुष्ठ कार्यकर्ता भी कम नहीं है हालांकि असंतुष्टों को मनाने मंत्री जी को घर घर पहुंच कर दस्तक देनी पड़ रही है वैसे भी पार्टी में नये पार्टी नेता कार्यकर्ता की पूछपरख तथा पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भी किसी से छिपी नहीं है नये पुरानो की बीच की खाई चुनावी समय पर और अधिक गहरी दिखाई देने लगी है अब यह खाई छिपी हुई नहीं रही इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर तो यह खाई पूरी तरह उजागर हो चुकी है तब ऐसी स्थिति में मप्र सरकार में केबिनेट मंत्री को असंतुष्टों को मनाने की कवायद में जुटने से कहीं न कही यह नगरीय निकाय चुनाव भविष्य के चुनाव की दिशा भी तय कर सकता है परन्तु असंतुष्टों के बढ़े क़दम मान मनोवल के बाद भी पीछे हटने को तैयार नहीं दिखाई दे रहे हैं ।