– मजदूरी में लगे बच्चे नशे की गिरफ्त में आ जाते है और शोषण के शिकार भी होते है
रंजीत गुप्ता
शिवपुरी- बाल श्रम बच्चों को सिर्फ शिक्षा से ही बंचित नहीं करता, बल्कि वे विकास के सभी अवसरों से बंचित रह जाते है। मजदूरी करने वाले बच्चे नशे की गिरफ्त में आकर गलत रास्तों की ओर चले जाते है। बाल मजदूरों का शारीरिक और मानसिक शोषण भी बड़ी संख्या में होता है। यह बात कंट्रोल रूम में आयोजित कार्यशाला में पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह चंदेल ने कही।
रविवार को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर महिला एवं बाल विकास तथा श्रम विभाग के द्वारा संयुक्त कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें बाल श्रम उन्मूलन में सहायक विभागों एवं संस्थाओं के अधिकारी- कर्मचारी मौजूद रहे। कार्यशाला में कुमार एवं बाल श्रम निषेध अधिनियम तथा किशोर न्याय बालकों की देखभाल अधिनियम के प्रावधानों से परिचित कराते हुए इस सामाजिक अपराध को मिटाने में विभागों एवं संस्थाओं की भूमिका पर चर्चा की गई।
जिला कार्यक्रम अधिकारी देवेंद्र सुंदरियाल ने बताया कि कोई भी परिवार सामान्य परिस्थितियों में अपने बच्चों को मजदूरी के लिए नहीं भेजता। उसके पीछे भी अनेकों कारण होते है,परिवार की गरीबी हो या माता- पिता की शारीरिक या मानसिक स्थिति ठीक नहीं हो। यदि पिता नशे का आदी हो तो बच्चे काम करते है। हमें ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उनकी परिवारिक मजबूरी को भी दूर करना होगा।
श्रम अधिकारी आशीष तिवारी ने बाल श्रम निषेध कानून में हुए संसोधन की जानकारी देते हुए बताया कि 14 वर्ष तक के बच्चों को किसी भी स्थिति में नियोजित नहीं किया जा सकता। 14 वर्ष से 18 वर्ष के बच्चों से शर्तों के अधीन काम लिया जा सकता है,किंतु उसके नियोजन की जानकारी श्रम विभाग को देना आवश्यक होगा। बच्चों से स्कूल समय और शाम 7 बजे से सुबह के 8 बजे के बीच काम नहीं लिया जा सकता।
कार्यशाला में जिला शिक्षा अधिकारी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिला विधिक सहायता अधिकारी, जिला आबकारी अधिकारी,बाल कल्याण समिति सदस्य, बीआरसी, महाप्रबंधक उद्योग विभाग, जिला संयोजक जनअभियान, वन स्टॉप सेंटर, बालगृह, नशा मुक्ति केंद्र,चाइल्ड लाइन, विशेष किशोर पुलिस इकाई, बाल संरक्षण इकाई, नेहरू युवा केंद्र के अलावा पुलिस, महिला बाल विकास एवं बच्चों के लिए कार्यरत संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे।