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जीवन से क्रोध,मोह और हिंसा को त्यागें: पं.’वटुकजी’

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अटारीखेजड़ा भागवत कथा में बुधवार को मनेगा कन्हैया का जन्मोत्सव

विदिशा से अदनान खान की रिपोर्ट।
ग्राम अटारीखेजड़ा में वटेश्वर भागवत सेवा संस्थान के तत्वावधान में विश्व कल्याणार्थ आयोजित की जा रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के तीसरे दिन कथास्थल पर मौजूद श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए गौवत्स पं. अंकितकष्ण तेनगुरिया ‘वटुकजी’ ने कहा कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे है वहां आपका,आपके इष्ट या आपके गुरु का अपमान न हो। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए। चाहे वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का ही घर क्यों हो। वटुकजी महाराज ने कथा के दौरान सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा। वटुकजी ने कहा कि अपने मान सम्मान का ध्यान हमें खुद रखना है। और जहां सम्मान न मिलें वहां बैठना उठना और खाने-पीने से परहेज करें। कथा में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि ध्रुव की सौतेली माँ सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी माँ सुनीति ने धैर्य नहीं खोया। जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। गौवत्स पं.अंकितकृष्ण तेनगुरिया ‘वटुकजी’ ने कहा कि आज के समय में भी परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य एवं संयम की आवश्यकता रहती है। इसलिए हम ध्यान रखें की अपना धैर्य और संयम कभी न खोंए। कथावाचक वटुकजी ने कहा कि मनुष्य जीवन में जाने अनजाने प्रतिदिन कई पाप होते है। इस संसार में पाप का प्रायश्चित करना भी जरूरी है और ईश्वर के समक्ष प्रायश्चित करना ही एक मात्र मुक्ति पाने का उपाय है। वटुकजी ने श्रोताओं से अपील करते हुए कहा कि ईश्वर आराधना के साथ अच्छे कर्म करें और धार्मिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लें। जिससे की हमारे समाज में भी पुण्य की गंगा बहती रहे। उन्होंने जीवन में सत्संग व शास्त्रों में बताए आदर्शों का श्रवण करने का आह्वान करते हुए कहा कि सत्संग में वह शक्ति है। जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है। उन्होंने कहा कि व्यक्तियों को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह आदि का त्यागकर विवेक के साथ श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए। महाराजश्री ने इस मौके पर वाराह अवतार सहित अन्य प्रसंगों पर भी कथा कही। वटेश्वर भागवत सेवा संस्थान के सदस्य पं. आकाश दुबे ने बताया कि भागवत कथा के चौथे दिन बुधवार को भगवान श्रीकृष्ण के अवतार पर कथा होगी। इस अवसर पर भगवान के बाल अवतार की एक झांकी भी सजाई जाएगी जो विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगी। कथावाचक बटुकजी ने भी सभी श्रद्धालुओं से इस मौके पर पीले वस्त्र धारण कर कथास्थल पर आने की अपील की उन्होंने कहा कि पीले वस्त्र शुभ कार्य में पहने जाते हैं। जैसे घर में उत्सव होने पर, कथास्थल पर उत्सव मनाया जाएगा। आयोजन समिति ने अधिक से अधिक संख्या में श्रद्धालुओं से कथा में सम्मिलित होने की अपील की। इस अवसर पर कथा के मुख्य मनोरथी राजकुमार ठाकुर, पं.महेश दुबे, केतन अग्रवाल, भगवान सिंह राजपूत, जगदीश यादव, बब्लू रघुवंशी, राहुल दांगी, रंजीत रघुवंशी, शिवम सोनी,भगवान सिंह कुशवाह, आशीष कुशवाह आदि उपस्थित रहे।

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