-सांची जनपद के ग्राम ढकना-चपना का मामला
सलामतपुर रायसेन से अदनान खान की रिपोर्ट।
सांची जनपद क्षेत्र में पुरासंपदा जगह जगह बिखरी पड़ी है। इसी पुराण संपदा के पाषाण युगीय काल के प्रमाण तब मिले जब सेवानिवृत्त संयुक्त महानिर्देशक के खेत में जो ग्राम ढकना चपना में है। इस खेत में मकान निर्माण की खुदाई कर गढ्ढे खुदाई कार्य करवा रहे थे। उन्होंने खुदाई कार्य रुकवा कर उसका परीक्षण किया। जिसमें उन्हें पाषाण युगीय काल के प्रमाण मिले। अभी भी वह इन प्रमाणों का अध्ययन कर रहे हैं ।
जानकारी के अनुसार सेवानिवृत्त संयुक्त महानिर्देशक एसबी ओता विश्व ऐतिहासिक पर्यटक स्थल से लगभग 5 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम ढकना चपना में अपने खेत पर मकान निर्माण हेतु खुदाई कार्य करवा रहे थे। खुदाई में उन्होंने देखा कि जो अंदर पत्थर की परत जमी हुई है तथा जिसके नीचे हार्ड मुरम की परत बिछी हुई है। वह पाषाण युगीय काल के पुरा स्थल के प्रमाण दिखाई देते हैं। जिसपर उन्होंने खुदाई कार्य रुकवा दिया तथा उसकी पड़ताल शुरू कर दी । उन्होंने बताया कि यह प्रमाण ऐसे प्रतीत होते हैं जब आदिमानव जंगलों में मुरम फैलाकर तथा पत्थर बिछाकर रहते थे। इन प्रमाणों से प्रतीत होता है कि यह लगभग लाखों साल पूर्व के है। उन्होंने बताया कि भारतीय उपमहाद्वीप मध्य क्षेत्र जिसमें मप्र भी शामिल हैं। प्रागैतिहासिक मानव काल के साक्ष्यों से भरा पड़ा है। वैसे तो आदिमानव की उपस्थिति के प्रमाण मप्र की पहाड़ियों व नदियों के कटाव से मिलते हैं। इनमें भीमबेटका, आदमगढ़, बलवाडा, बालमपुर इसके उदाहरण हैं। यहां आदिमानव अपने पत्थर के औजारों का इस्तेमाल करते थे जो चिन्ह मिलते हैं। ऐसी ही पुरासंपदा रायसेन जिले के ग्राम टिकोडा दाम डोंगरी में आदिमानव के रहने के प्रमाण मिले हैं। इन्हीं स्थानों से आदिमानव की उपस्थिति समझने के लिए इन पुरास्थलों का निरीक्षण करने वाले दो पुरातत्व विद सुमन पांडे वह निहारिका श्रीवास्तव ने सेवा निवृत्त श्री ओता पुराविद् के मार्ग दर्शन में सांची के स्थलों का भी सर्वेक्षण किया गया था। तब क्षेत्र में उस समय जीवन यापन के प्रमाण मिले थे।और पाषाण युगीय प्रमाण अब सांची जनपद के ढकना चपना मैं भी मिले हैं। यह प्रमाण संयुक्त महानिर्देशक एसबी ओता व मिनर्वा सोनोवाल एसबी ओता पुरातत्वविद निजी भूमि पर इसी क्षेत्र से कुछ वर्ष पूर्व उक्त दोनों पुरातत्व विदो ने कुछ पत्थर से बने औचार मिले थे। अब पुनः इसी क्षेत्र में पाषाण युगीय काल के प्रमाण भी मिले थे । इनमें प्रमुख हथियार किस प्रकार के होते थे। इनमें प्रमुख रूप से हस्त कुठार, खुरचनी क्लीवर इस प्रकार अन्य हथियार हुआ करते थे। पुरातत्व विदो द्वारा लैब में साज्क्षय इकट्ठा करने लैब में भेजे गए हैं। यह औजार लगभग दस लाख वर्ष पूर्व के होने की संभावना जताई गई है। तब यह स्थल आदिमानव वह हमारे पूर्वजों के अनुकूल रहा हौगा आज का मानव हमारे व हमारे पूर्वजों के बीच की कड़ी को जोड़ता हुआ उस समय आदि मानव फलफूल कंद पत्तों से ही अपना जीवन व्यतीत करते रहे होंगे ऐसे स्थानों को चयनित कर उन्होंने अपने आवास बनाए होंगे श्री ओता ने कहा कि आज फिर इस क्षेत्र में अपनी निजी भूमि पर खुदाई में ऐसे प्रमाण मिले हैं। इन पत्थरों के औजारों का हम लेब से परीक्षण कर इन्हें सुरक्षित व संरक्षित कर रख पाते हैं। जिससे हमें हमारे पूर्वज वह आदिमानव के रहने खाने पीने का पता चलता है।