सांची से देवेंद्र तिवारी
कहने को तो नगर परिषद सांची एक विश्व ऐतिहासिक प्रसिद्ध स्थल की कहलाती है जहां सरकारें इस ऐतिहासिक स्थल को इसके अनुरूप ढालने लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर रही है परन्तु जितना धरातल पर खर्च नहीं हो पा रहा उससे अधिक कागजों में चल रहा है ऐसा ही मामला तब सामने आया जब दो साल से बिगड़ी पड़ी फोंगिग मशीन पड़े पड़े ही हज़ारों रुपए का डीजल पेट्रोल पी गई जांच के आदेश भी टांय टांय फिश होकर संदेहास्पद बनकर रह गई ।
जानकारी के अनुसार वर्षों पूर्व फोंगिग मशीन खरीदी की गई थी जिसकी खरीद फरोख्त में बड़ी हेराफेरी हुई थी तब शिकायतें पर शासन ने जांच पड़ताल की जांच में दोषी पाए जाने पर अध्यक्ष सहित सीएमओ को निलम्बित होना पड़ा था इसके बाद समय गुजरा वर्षों बाद तत्कालीन सीएमओ राजेंद्र सिंह ने लगभग 44 हजार की फोगिंग मशीन खरीदी तथा नगर के मच्छरों का जीना हराम कर दिया इस बीच अनेकों बार फोगिंग मशीन बिगड़ी तथा मरम्मत होकर चलती रही धीरे धीरे फोगिंग मशीन को एक ओर रख दिया गया लगभग दो वर्ष से फोगिंग मशीन कचरा खाती रही इसका किसी को अतापता भी नहीं चल सका अब वर्तमान में मच्छरों की बढ़ती संख्या को देखते हुए वर्तमान सीएमओ आरडी शर्मा ने फोगिंग मशीन ढुंढवाकर निकलवाई परन्तु दो वर्ष से रखी होने पर इसकी पुनः मरम्मत करवाई गई तथा जैसे ही चालू कर चलाया गया वैसे ही इसने आग पकड़ ली इसकी पुनः मरम्मत करवाई गई तब कहीं जाकर नगर में धुआं उठता दिखाई दिया वह भी मात्र एक दिन जबकि इस फोगिंग मशीन को लगभग चार माह पूर्व ही नप में दैनिक वेतन भोगी श्रमिको के नाम पर डीजल पेट्रोल की धड़ल्ले से पर्ची कटने लगी तथा कागजों में चलाकर बताया जाता है लगभग 40-50 हजार की शासन को चपत लगा दी गई विगत माह में स्वच्छता अभियान से सम्बंधित बैठक नगर परिषद में एसडीएम तथा प्रशासक एलके खरे ने बुलाई जिसमें नगर के अनेकों गणमान्य लोग तथा पत्रकार उपस्थित रहे ।तब इस मुद्दे को प्रशासक के समझ उठाया गया था तब श्री खरे ने सीएमओ को जांच के आदेश दिए थे तथा सीएमओ ने भी लोगों को इस मामले में जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कही थी धीरे धीरे समय गुजरा इस गड़बड़ झाले की जांच मात्र नगर वासियों को आश्वासन तक सिमट कर रह गई तथा उस जांच को भुला दिया गया तबसे ही नगर परिषद में होने वाले लाखों करोड़ों रुपए विकास के नाम पर बंदरबांट की भेंट चढ़ गए तथा जांच भी संदेहास्पद बनकर रह गई ऐसे ही अनेक निर्माण जिनपर लाखों करोड़ों विकास के नाम पर फूंके जा रहे हैं इन दिनों नगर में चर्चित हो उठे हैं । जहां तक परिषद में प्रशासनिक ढर्रे की बात हो तो लेखापाल के व्यवहार से आये दिन कार्यालय में स्थिति बहसबाजी की बनती दिखाई दे जाती है वहीं कर्मचारी भी लेखापाल के व्यवहार से दुखी बताये जाते हैं बताया तो यहां तक जाता है कि लेखापाल को हटाने कर्मचारियों द्वारा पत्र भी सौंप दिया गया है बावजूद इसके ऐतिहासिक नगरी की नगर परिषद की हालत दिनों दिन दयनीय स्थिति में पंहुच रही है जिसका खामियाजा नगर के लोगों को भुगतना पड़ रहा है तथा कतिपय अधिकारी शासन की राशि में बंदरबांट करने में पीछे नहीं दिखाई दे रहे हैं