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गैस सिलेंडरों की कीमतों में फिर भारी उछाल

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263 रुपये 50 पैसे की बढोत्तरी के साथ 19 किलो ग्राम के व्यवसायिक सिलेंडर की रिफिल दर हुई 2444 रुपये 50 पैसे,5 किलो के व्यवसायिक की कीमतों में भी भारी इजाफा

व्यवसायिक गैस की बढ़ती कीमतों से अब होटलों में हो रहा लकड़ी का उपयोग

सुरेन्द्र जैन धरसीवां

मोदी सरकार के कार्यकाल में गैस की बढ़ती कीमतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं व्यवसायिक 19 किलो ग्राम की रिफिल दर में इस माह की 1 तारीख से 263 रुपये 50 पैसे की बढोत्तरी होने के साथ अब यह 2444 रुपये 50 पैसे में उपभोक्ताओं को मिलेगा वहीं 5 किलो के व्यवसायिक सिलेंडरों की रिफिल दृर में भी भारी इजाफा हुआ है व्यवसायिक गैस की बढ़ती कीमतों ने मध्यम वर्ग की होटलों व ठेलों में पकोड़े बेंचने वालों की भी कमर तोड़ दी है ओर उन्हें अब लकड़ी के उपयोग के लिए विवश कर दिया है।

होटलों ठेलों फेक्ट्रियो में होता है व्यवसायिक का उपयोग

जानकारी के मुताबिक व्यवसायिक गैस सिलेंडरों का उपयोग बड़ी बड़ी होटलों के साथ मध्यम वर्ग की होटलों हाथ ठेलों में पकोड़े बेंचने वालो के अलावा ओधोगिक इकाइयों में लोहा कटिंग के लिए किया जाता है बड़ी बड़ी नामी होटलों में तो बड़े लोगो का जाना होता है इसलिए वहां वह अपने चाय नाश्ता भोजन की कीमतों में कितना भी इजाफा कर लेते हैं लेकिन मध्यम वर्ग की ग्रामीण क्षेत्रों ओधोगिक इलाको के आसपास होटलों एवं ठेलों में ग्राहक भी मध्यम किसान मजदूर वर्ग के होते हैं इसलिए होटल व गुमठी ठेला संचालक अपने चाय नाश्ते की कीमतों में भारी इजाफा नहीं कर पाते यदि कर भी दें तो ग्राहक लोकल के मज़दूर गरीब किसान होने से वह नहीं दे पाते और ग्राहकी भी कम होने लगती है
फेक्ट्रियो में भी व्यवसायिक गैस की कीमतों में भारी इजाफा होने से बहुत फर्क पड़ता है क्योकि उनके द्वारा फेक्ट्रियो में उत्पादित सामग्री का मार्केट रेट यदि न बढ़े और बनाने में उपयोग होने वाले सामान महंगे हों तो उन्हें भी फैक्ट्रियां चलाना घाटे का सौदा होने लगता है।

होटल संचालकों ने बनवाईं लकड़ी भट्टी

व्यवसायिक गैस की कीमतों में 2014 के बाद से ही लगातार बढ़ोत्तरी के चलते ओधोगिक क्षेत्र सांकरा सिलतरा सहित आसपास के माध्यम छोटे होटल संचालकों ने धीरे धीरे गैस का उपयोग कम कर लकड़ी का उपयोग अधिक शुरू करने अपनी अपनी होटलों के बाहर लकड़ी जलाकर चाय नाश्ता बनाने के लिए मिट्टी के भट्टी चूल्हा का निर्माण करा लिया है बाबजूद इसके तेल मसाला दाल आदि सभी सामानों की कीमतों के आसमान छूने से कभी 5 रुपये में बिकने वाला समोसा अब 15 रुपये तक पहुच गया है कहीं कहीं समोसा का साइज भी अब छोटा कर दिया गया है इसके बाद भी मध्यम व छोटे होटल संचालको को पहले जैंसी आमदनी नहीं हो पा रही इस कारण कई होटलें जहां दस से बीस बेरोजगार ग्रामीण काम करते थे वहां अब एक दो में ही काम चलाया जा रहा है।

मध्यम गरीब को भुखमरी की कगार पर ला रही मोदी सरकार

इधर बढ़ती महंगाई को लेकर ब्लॉक कांग्रेस कमेटी अध्य्क्ष दुर्गेश वर्मा ने कहा है कि मध्यम व गरीब मजदूर ओर छोटे छोटे व्यवसायियों को केंद्र की मोदी सरकार भुखमरी की कगार पर लाती जा रही है।
एक तरह देश में बेरोजगारी बढाई जा रही दूसरी तरफ ऐंसी कुनीतियाँ बनाईं जा रही कि गरीब मध्यम किसान मजदूरों की आय घटती जा रही है जबकि बड़े बड़े पुंजिपतियो की दिन दूनी रात चौगनी आय बढ़ रही है उनके कर्ज भी माफ कर दिए जाते है एक तरह से मोदी सरकार देश की जनता को दिवालिया करने पर तुली है

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