विदिशा से अदनान खान की रिपोर्ट।
शहर के बटेश्वर महादेव मंदिर में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने अपने लाडले कन्हैया का जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया। कथावाचक पंडित अंकितकृष्ण तेंगुरिया ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि जब जब धरती पर अत्याचार बढ़ते हैं। तब तब भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए धरा पर अवतरित होते हैं और राक्षसों का नाश करते हैं। श्री कृष्ण अवतार के प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि कंस अपनी बहन देवकी से अत्यधिक स्नेह और प्रेम किया करता था लेकिन मृत्यु के भय से कंस को देवकी दुश्मन सी नजर आने लगी देवकी को विवाह के बाद विदा करते समय आकाशवाणी हुई कि देवकी का बेटा ही कल तेरा काल बनेगा यह सुनकर कंस देवकी को मारने के लिए दौड़ा तो वासुदेव ने रोका और वादा किया कि वह हर पुत्र को कंस को सौंप देंगे। कंस ने दोनों को एक कठोर कारावास में डाल दिया। लेकिन संसार का ऐसा कोई बंधन नहीं जिन्हें ईश्वर नहीं तोड़ सकता और प्रभु की लीला को कोई नहीं रोक सकता। भगवान ने अपने तय समय में जेल में ही अवतार लिया और बाल रूप धारण कर देवकी की गोद में अवतरित हुए। महाराज श्री बटुकजी ने कहा कि उस समय इंद्र भगवान ने घनघोर बारिश की। भगवान का अवतार हम मानव जीवन के लिए परम कल्याणमयी है। उन्होंने धरती से पापियों के संहार करने के लिए ही जन्म लिया है जैसे ही भगवान के बाल रूप की झांकी ने कथास्थल पर प्रवेश किया तो श्रद्धालुओं में एक झलक पाने के लिए होड़ सी लग गई। इस अवसर पर संगीत कलाकारों ने बधाई गीत गाए, जिन पर माताएं बहने खुद को झूमने से नहीं रोक सके। इस अवसर पर भगवान के बाल रूप झांकी की पूजा अर्चना की गई और आकर्षक तरीके से सजाई झांकी विशेष आकर्षण का केंद्र रही।
इस अवसर पर महाराजश्री बटुकजी ने सभी श्रद्धालुओं को हल्दी लगाकर बधाई दी। कथा के पांचवे दिन भगवान की बाल लीलाओं के प्रसंग पर कथा होगी। फाल्गुन मार्च के शुभ अवसर पर चल रही भागवत कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। इस अवसर पर आयोजन समिति के महिला सदस्य के साथ ही पुजारी कैलाश नारायण, दामोदर प्रसाद शर्मा, पंडित आचार्य सत्येंद्र शास्त्री, पंडित शिवा शास्त्री के साथ ही कई स्थानी श्रद्धालु मौजूद रहे। कथा प्रतिदिन दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक आयोजित हो रही है। जिसमें शहरभर के श्रद्धालु और धर्म प्रेमी बंधु शामिल होकर पुण्य प्राप्त कर रहे हैं।