कांग्रेस की दिग्गज नेता सोनिया गांधी ने एक आर्टिकल के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर करारा हमला बोला है. उन्होंने लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की कम आई सीटों को लेकर पीएम मोदी की हार बताया है. उनका मानना है कि बीजेपी की कम सीटें आना पीएम की राजनीतिक और नैतिक हार है. इसके अलावा उन्होंने दावा किया है कि जिन-जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार है वहां-वहां अल्पसंख्यकों के घरों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है.
सोनिया गांधी ने एक अखबार में लिखे आर्टिकल में कहा कि 2024 के चुनाव में पीएम की व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार हुई है. खुद को ईश्वरीय शक्ति घोषित करने वाले पीएम के लिए ये चुनाव परिणाम उनकी घृणा की राजनीति को अस्वीकार करना था. यही नहीं, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने साल 1975 में लगाई गई इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव का भी जिक्र किया है और बताया है कि कैसे आमजन ने अपना फैसला सुना दिया था.
उन्होंने कहा कि मार्च 1977 में देश के लोगों ने इमरजेंसी लगाई जाने पर अपना फैसला सुनाया था, उसने तत्कालीन सरकार को स्वीकार कर दिया था. 1977 के फैसले को हमने बिना किसी हिचकिचाहट के स्वीकार किया इसलिए हम 1980 में दोबारा उस बहुमत से वापस आए जिसे मोदी कभी नहीं पा सके.
पीएम मोदी नीट पर चुप क्यों हैं? सोनिया गांधी
सोनिया गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इमरजेंसी का जिक्र किया है. आश्चर्यजनक रूप से लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी ध्यान भटकाया है. प्रधानमंत्री हमेशा सहमति की बात करते हैं, लेकिन टकराव का रास्ता अख्तियार करते हैं. सरकार की तरफ से जब हमसे स्पीकर चुनाव में समर्थन की मांग की गई तो हमने कहा कि परंपरा के मुताबिक उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को मिलना चाहिए, लेकिन सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी.
उन्होंने कहा कि पिछली लोकसभा के कार्यकाल में बिना चर्चा कानून पास किए गए तमाम सांसदों को निलंबित किया गया. प्रधानमंत्री परीक्षा पर चर्चा करते हैं, लेकिन NEET पर चुप हैं. इस बीच देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और उन्हें डराने के मामले अचानक तेज हो गए हैं. भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में सिर्फ आरोप लगने पर ही अल्पसंख्यकों के घरों को बुलडोजर से ध्वस्त किया जा रहा है. प्रधानमंत्री ने चुनाव के दौरान अपने पद की मर्यादा का ख्याल न रखते हुए झूठ बोला और सांप्रदायिक बातें कहीं.
पीएम मोदी मणिपुर जाने का नहीं निकाल पाए समय- सोनिया
कांग्रेस नेता ने मणिपुर हिंसा का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि मणिपुर जलता रहा, लेकिन प्रधानमंत्री वहां जाने का समय नहीं निकाल पाए. प्रधानमंत्री के 400 पार के नारे को जनता ने रिजेक्ट किया. इस पर उनको आत्म विश्लेषण करना चाहिए.