नवरात्र का पर्व बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है. नवरात्रि के दौरान 9 दिनों तक मां के नौ रूपों को पूजा (Puja) जाता है. साल भर में चार नवरात्रि (Navratri) आती हैं इनमें से दो गुप्त नवरात्रि होती हैं. जो आषाढ़ और पौष महीने में पड़ती हैं. इसके अलावा चैत्र महीने में पड़ने वाली नवरात्रि को बड़ी नवरात्रि और अश्विन माह में पड़ने वाली नवरात्रि को छोटी नवरात्रि कहते हैं. नवरात्रि कोई सी भी हो माता के भक्त इस पर्व को बड़ी धूमधाम और श्रद्धा भक्ति के साथ मनाते हैं. 9 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में माता के भक्त अखंड ज्योति प्रज्वलित करते हैं.
अखंड ज्योति का मतलब ऐसी ज्योति जो खंडित न हो. अखंड ज्योत निरंतर जलती रहनी चाहिए. नवरात्रि में अखंड ज्योति का बहुत अधिक महत्त्व होता है. नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योत का बुझना अशुभ माना जाता है. जहां भी यह ज्योति जलाई जाती है वहां इसके समक्ष हर वक्त किसी न किसी व्यक्ति का उपस्थित होना जरूरी होता है.
अखंड ज्योत में दीपक की लो बाएं से दाएं की तरफ जलनी चाहिए. इस प्रकार का जलता हुआ दीपक आर्थिक संपन्नता का सूचक होता है. दीपक का ताप दीपक से 4 उंगली चारों तरफ अनुभव होना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इस प्रकार का दीपक भाग्योदय लाता है.
अखंड ज्योत में दीपक की लो बाएं से दाएं की तरफ जलनी चाहिए. इस प्रकार का जलता हुआ दीपक आर्थिक संपन्नता का सूचक होता है. दीपक का ताप दीपक से 4 उंगली चारों तरफ अनुभव होना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इस प्रकार का दीपक भाग्योदय लाता है
जिस दीपक की लौ सोने के समान रंग वाली हो वह दीपक आपके जीवन में धन्य धान की कमी को पूरी करता है और व्यवसाय एवं नौकरी में तरक्की का संदेश भी देता है. नवरात्रों के अलावा कई लोग अखंड ज्योत को पूरे साल प्रज्वलित करके रखते हैं. लगातार 1 साल तक चलने वाली अखंड ज्योति से हर प्रकार की खुशियां व्यक्ति को प्राप्त होती हैं. ऐसा माना जाता है कि साल भर जलने वाले अखंड ज्योत से घर का वास्तु दोष दूर होता है.
अखंड ज्योत का बिना किसी कारण अपने आप बुझ जाना अशुभ होता है. इसी के साथ दीपक में बार-बार बत्ती भी नहीं बदलनी चाहिए. दीपक से दीपक जलाना भी अशुभ होता है. ऐसा करने से रोगों में वृद्धि होती है मांगलिक कार्यों में बाधाएं आती हैं. अखंड ज्योति में घी डालने या फिर उसमें बदलाव करने का काम साधक को ही करना चाहिए. अन्य किसी व्यक्ति से यह काम नहीं करवाना चाहिए.