नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है. इस चैत्र नवरात्रि मां चंद्रघंटा की पूजा 4 अप्रैल, सोमवार के दिन की जाएगी. देवी चंद्रघंटा के सिर पर घंटे के आकार का चंद्र है, इसलिए इन्हें ‘चंद्रघंटा’ कहा जाता है. इनके सभी हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं. देवी दुर्गा के इस स्वरूप की उपासना से साहस में वृद्धि होती है. मान्यता है कि शेर पर सवार मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों के कष्ट खत्म हो जाते हैं. इससे अलावा इनकी उपासना मन की शांति मिलती है.
शास्त्रों के मुताबिक मां चंद्रघंटा की पूजा लाल रंग के कपड़े पहनकर करना चाहिए. माता की पूजा में लाल फूल, रक्त चंदन और लाल रंग की चुनरी का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके अलावा ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए ‘ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः, शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सा न किं जनैः’ इस मंत्र का जाप चंदन की माला पर करनी चाहिए.
देवी के हर स्वरूप की पूजा में अलग-अलग प्रकार का भोग अर्पित किया जाता है. दरअसल भोग देवी मां के प्रति समर्पण का भाव दर्शाता है. ऐसे में मां चंद्रघंटा को दूध या इससे बनी मिठाइयों का भोग लगाना चाहिए. माता को भोग अर्पित करने के बाद खुद भी इसे ग्रहण करना चाहिए और दूसरों में भी बांटना चाहिए.