भोपाल। नवंबर में होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सरकार (Shivraj Government) सहकारिता का दायरा बढ़ाएगी। इसके लिए पांच हजार नई प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां गठित होंगी। सितंबर तक समिति के गठन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। किसी भी समिति में तीन से अधिक पंचायतें नहीं रहेंगी। इससे लाभ यह होगा कि ग्रामीणों और किसानों को खाद्यान्न या खाद-बीज लेने के लिए अधिक दूर नहीं जाना होगा।
मध्य प्रदेश में चार हजार 543 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां हैं। इनसे 50 लाख से अधिक किसान जुड़े हैं। केंद्र सरकार ने प्रत्येक पंचायत में सहकारी समिति के गठन का सुझाव दिया था। सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 23 हजार पंचायतों में समिति का गठन संभव नहीं है, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एक समिति में तीन से अधिक पंचायत न हो। पांच हजार समितियां गठित की जाएंगी।
इन्हें मिलकार मध्य प्रदेश में साख सहकारी समितियों की संख्या नौ हजार 543 हो जाएंगी। समिति के गठन का आधार न्यूनतम एक हजार किसानों की सदस्यता और दो से तीन करोड़ रुपये का कुल कारोबार रहेगा। समिति ही अपने कर्मचारियों का वेतन का खर्च निकालेगी। नई समिति के गठन के लिए वर्तमान समिति प्रस्ताव पारित करेंगी और दावे-आपत्ति बुलाकर क्षेत्र का निर्धारण करेंगी। मुख्यालय ऐसे स्थान पर रखा जाएगा, जो सबकी पहुंच में हो।
बहुउद्देश्यीय दुकानों का किया जा सकेगा संचालन
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि समितियों को अपनी आय बढ़ाने के लिए उचित मूल्य की राशन दुकान को बहुउद्देश्यीय दुकान के संचालन का अधिकार दिया जाएगा। कृषि अधोसंरचना निधि के माध्यम से ऋण दिलाकर समिति को प्रसंस्करण, भंडारण आदि क्षेत्र से भी जोड़ा जा सकता है। इसी तरह जैविक उत्पादों की ब्रांडिंग, मार्केटिंग का काम भी समितियों का दिया जा सकता है।
नए लोगों को मिलेगा मौका
समितियों के गठन से नए लोगों को मौका मिलेगा। प्रत्येक समिति में 15 सदस्य रहेंगे। इनमें से ही समिति का अध्यक्ष और जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के लिए प्रतिनिधि चुना जाएगा। ये जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के संचालक बनाने के लिए भी पात्र होंगे। इनमें से ही राज्य सहकारी बैंक के लिए प्रतिनिधि चुने जाएंगे।
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