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कचरा निस्तारण में आत्मनिर्भर बन रही कालोनियां जैविक खाद से हरे-भरे हो रहे उद्यान

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भोपाल। शहर में कचरे को लेकर रहवासियों की मानसिकता बदल रही है। अब इसे फेंकने की बजाय लोग इसका इस्तेमाल जैविक खाद बनाने में कर रहे हैंं। शहर की एक दर्जन कालोनियों में घरों से निकलने वाले गीले और ग्रीन कचरे से जैविक खाद बनाने के लिए पिट बनाए गए हैं। इसी खाद का उपयोग कालोनी के उद्यान में लगे पौधों को हरा-भरा रखने में किया जा रहा है। साथ ही रहवासी अपने घरों में भी इस खाद का उपयोग किचन गार्डन में फूल और सब्जियां उगाने में कर रहे हैं।

बता दें कि नगर निगम भी इन कालोनियों को कचरा निस्तारण में आत्मनिर्भर बनने के लिए मदद कर रहा है। नगर निगम के द्वारा ही इन कालोनियों में गीले कचरे से जैविक खाद बनाने के लिए पिट बनाए गए हैं। हालांकि इनमें कुछ कालोनियां ऐसी भी हैं, जहां रहवासियों ने अपने पैसे इकठ्ठे कर जैविक खाद बनाने के लिए पिट लगवाया है। डीके काटेज रहवासी संघ के अध्यक्ष डा. राहुल सिंह ने बताया कि कालोनी में 106 मकान हैं, इनमें से दस प्रतिशत लोग तो घर पर ही गीले कचरे से कंपोस्ट बना रहे हैं। जबकि अन्य घरों से निकलने वाले गीले कचरे और पेड़ों की सूखी पत्तियों से कालोनी में खाद बनाई जा रही है। डा. सिंह ने बताया कि शुरुआत में तो इससे बनने वाली खाद कालोनी के पार्क में स्थित पेड़-पौधे के लिए कम पड़ जाती थी, लेकिन लोगों में जागरुकता आने के बाद रहवासी खुद कालोनी के कंपोस्ट पिट में कचरा डाल कर जाते हैं। जो खाद कालोनी में उपयोग के बाद बचती है, वह रहवासियों को ही निश्शुल्क वितरित कर दी जाती है।

कालोनी के साथ ही अन्य स्थानों से जुटा रहे कचरा

बघीरा अपार्टमेंट में रहने वाली डा. सीमा सक्सेना ने बताया कि उनकी कालोनी में 72 मकान हैं, इनमें कुछ घरों में होम कंपोस्ट यूनिट लगाई गई है, जिसकी खद का उपयोग अपने घरों में करते हैं। जबकि अन्य घरों से निकलने वाले कचरे के लिए कालोनी में ही कंपोस्ट यूनिट बनाई गई है। इसमें गीला कचरा, बचा हुआ खाना, पत्तियां और सब्जियों के छिल्के समेत अन्य कचरा डालकर जैविक खाद बनाई जाती है। इससे लोगों में भी जागरुकता आ रही है। डा. सीमा ने बताया कि जैविक खाद बनाने के लिए लोगों की दीवानगी इस तरह बढ़ती जा रही है कि यदि घरों से कचरा उतनी मात्रा में नहीं निकल रहा है तो लोग मंडी से सब्जियों की पत्तियां व अन्य कचरा घर ले जाकर खाद बना रहे हैं।

कैमिकलयुक्त खाद व कीटनाशक को किया बायकाट

इन कालोनियों में पेड़-पौधों के लिए कैमिकलयुक्त डीएपी व यूरिया जैसी खादों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, और ना ही कीड़ों को मारने के लिए बाजार में मिलने वाले कीटनाशक का उपयोग होता है। डा. सीमा ने बताया कि कालोनियों में लोग जैविक खाद के साथ ही घर में बने कीटनाशक का इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर इस पानी को पौधों में छिड़काव किया जाता है। इसके साथ ही लोग लहसुन, हरी मिर्च और प्याज को मिक्सर में पीसकर इसके पानी में मिलाकर भी कीटनाशक के रुप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपको कैमिकलयुक्त फल और सब्जियां मिल सकेंगी।

दो हजार कालोनियों में कंपोस्ट पिट लगाएगा निगम

कालोनियों को कचरा निस्तारण में आत्म निर्भर बनाने के लिए नगर निगम भी सहयोग कर रहा है। निगम अधिकारियों की मानें तो शहर से प्रतिदिन एक हजार मीट्रिक टन कचरा इकठ्ठा करने में हर महीने चार करोड़ रुपये खर्च होते हैं। यदि कालोनियों में ही गीले कचरे को अलग कर दिया जाए तो शहर से प्रतिदिन निकलने वाला कचरा आधे से भी कम हो जाएगा। इसके लिए नगर निगम दो हजार से अधिक कालोनियों में जैविक खाद बनाने के लिए कंपोस्ट यूनिट लगाने की योजना बना रहा है।

50 से अधिक कालोनियों में बन रही जैविक खाद

कालोनियों में जैविक कचरा बनाने और कंपोस्ट यूनिट लगाने के लिए नगर निगम रहवासी समितियों को निश्शुल्क प्रशिक्षण उपलब्ध कराता है। राजधानी में 50 से अधिक कालोनियां ऐसी हैं, जहां कंपोस्ट यूनिट लगाई गई है। इनमें वर्धमान सिटी, सम्राट कालोनी, ग्रीन सिटी, पेसिफिक ब्लू, फ्लेमिंगो, रिवेरा टाउन, डीके काटेज, बघीरा अपार्टमेंट, फारच्यून ग्निेचर समेत अन्य कालोनियां शामिल हैं।

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