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चुनावी संग्राम में ‘शिव’ की शक्ति बनेगी लाडली बहना? -अरुण पटेल

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आलेख
अरुण पटेल

बतौर मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश में सबसे लम्बी पारी खेलने वाले शिवराज सिंह चौहान हमेशा ही नवाचार करने और समाज के विभिन्न वर्गों को अपने से जोड़ने और उनसे रिश्ते बनाने में सिद्धहस्त रहे हैं। सोशल इंजीनियरिंग और चुनावी जमावट कर महिलाओं और विभिन्न वर्गों के बीच से भाजपा की जीत का मार्ग बनाते शिवराज 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए बजट के सहारे सभी का दिल जीतने की कोशिश कर रहे हैं। ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमन्ते तत्र देवता‘ की भावना शिवराज की सफलता में हमेशा मास्टर स्ट्रोक की भूमिका अदा करती रही है। 2023 के विधानसभा चुनाव के पूर्व उनकी मौजूदा सरकार का अंतिम बजट वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा ने जो प्रस्तुत किया है उसका केंद्रीय स्वर यही है कि नारी सशक्तीकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए तथा समाज का हर वर्ग यह महसूस करे कि उसके लिए कुछ न कुछ बजट में प्रावधान किया गया है। वैसे तो शिवराज की सारी राजनीतिक धुरी नारी शक्ति को साधने की रही है लेकिन वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में लाडली बहना योजना के प्रावधान सहित महिलाओं पर केंद्रित सभी योजनाओं का लगभग 19 प्रतिशत बजट बढ़ाया गया है। इस बजट में शिवराज सरकार ने आधी आबादी को मिशन 2023 की जीत आसान बनाने के लिए अपनी तरफ से बजट में से एक तिहाई राशि नारी शक्ति को समर्पित की है। इसको देखते हुए कहा जा सकता है चुनावी संग्राम में शिवराज की शक्ति बनेगी लाडली बहना ? इस प्रकार शिवराज सरकार का लक्ष्य प्रदेश की उन 2 करोड़ 60 लाख महिला वोटों को साध कर भाजपा के पाले में लाने का नजर आता है।


बजट में कोई कर न लगाकर आम आदमी को भी मोहपाश में बांधने की कोशिश की गई है। हालांकि लाडली बहना और छात्राओं को मुफ्त स्कूटी के अलावा कोई नई योजना या सौगात नहीं मिली है लेकिन जो मिला है वह भी किसी मायने में कमतर नहीं आंका जा सकता। एक ओर जहां नारी शक्ति पर विशेष ध्यान दिया गया है तो वहीं इस चतुराई से बजट बनाया गया है कि अन्य वर्गों को भी पूरी तरह खुश करने का प्रयास बजट के आंकड़ों से परिलक्षित हो। जो कुछ किया गया है वह करना लाजिमी था क्योंकि इस साल की राजनीतिक फिजा व तासीर जुदा है, यह चुनावी साल है जहां मतदाता शिवराज सरकार की तकदीर का फैसला करने वाले हैं। शिवराज की नजर में उनकी सरकार का बजट हर वर्ग के कल्याण वाला है और शक्तिशाली भारत के निर्माण में प्रदेश की ओर से अभूतपूर्व योगदान देने वाला है। बजट में सिंचाई हो या सड़कें, हर गरीब को छत मुहैया कराने का संकल्प हो या बिजली की बुनियादी सुविधाएं पूरी करना, इन सभी के लिए बजट में प्रावधान किया गया है। अभिनव पहल करते हुए पहली बार बजट में सोशल इम्पैक्ट बांड लाने का प्रावधान भी किया गया है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का कहना है कि यह भाजपा सरकार की मध्यप्रदेश से बिदाई का बजट है। इसमें किसानों व ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षा हुई है। न तो औद्योगिक विकास की कोई सोच इसमें है और न ही युवाओं के रोजगार के अवसर बनाने के प्रयास नजर आते हैं। अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग की भी कोई चिन्ता नहीं की गई है। बजट में किसानों की ऋण माफी योजना के लिए केवल नाममात्र की राशि का प्रावधान है। इससे साफ है कि किसानों के प्रति सरकार की सोच क्या है। राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह इस बजट को पूरी तरह से निराशाजनक मानते हैं, वह कहते हैं कि शासकीय कर्मचारियों को पुरानी पेंशन, संविदा एवं अतिथि शिक्षक, अतिथि विद्वानों व आउटसोर्स वाले कर्मचारियों के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है, महंगाई से राहत देने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है यह सरकार की आंकड़ों की बाजीगरी है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भाजपा सरकार के इस बजट को जनहितैषी बजट मानते हैं और उनके अनुसार इसमें किसान, युवा, महिला, गरीब वर्ग और आम जनता सभी के हितों का समग्रता के साथ समावेश कर प्रदेश के विकास का मार्ग प्रशस्त किया गया है।
लगभग 18 माह के अंतराल को छोड़ दिया जाए तो शिवराज डेढ़ दशक से अधिक समय से सत्ताशीर्ष पर काबिज हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कुछ ही सीटों के अन्तर से पिछड़ जाने के बाद 18 माह के अंतराल को छोड़कर फिर से वही बतौर मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने और एक स्वर्णिम प्रदेश गढ़ने की कल्पना को साकार करने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे हैं। लाडली लक्ष्मी योजना को अमल में लाकर न केवल देश में उन्होंने मध्यप्रदेश की नई पहचान बनाई बल्कि महिलाओं के भाई और भांजे-भांजियों के मामा के रुप में उनकी जो छवि बनी वह दिन-प्रतिदिन और गहरी होती जा रही है। हाल ही में उन्होंने लाडली बहना योजना का ऐलान किया है जिसके तहत महिलाओं के खाते में हर माह सीधे 1000 रुपये की राशि जमा होगी। इसके लिए आज 5 मार्च से महिलाओं का पंजीयन प्रारम्भ हो गया है और फार्म भराने का काम पूरा होने के बाद उनके खाते में यह राशि सीधे जमा होने लगेगी। इस प्रकार लाडली बहना योजना मध्यप्रदेश के राजनीतिक फलक पर गेम चेन्जर साबित हो सकती है ?
शिवराज जहां इस बजट को मॉ-बेटी के उत्थान का बजट निरुपित करते हुए अद्भुत और अकल्पनीय बजट बता रहे हैं तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ इसे झूठी सरकार का झूठा बजट बता रहे हैं और कह रहे हैं कि लाडली बहना योजना में ये 1000 रुपये दे रहे हैं जब हमारी प्रदेश में सरकार बनेगी तो हम 1500 रुपये देंगे। नारी शक्ति के उत्थान के लिए बजट में जो प्रावधान प्रस्तावित हैं उसके अनुसार मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना में 8 हजार करोड़, महिला एवं स्व-सहायता समूहों को क्रेडिट लिंकेज के लिए 5 हजार 84 करोड़, सामाजिक पेंशन स्कीम के लिए 3 हजार 525 करोड़, लाडली लक्ष्मी योजना के लिए 929 हजार करोड़ और मातृवंदना योजना के लिए 467 हजार करोड़ रुपये, इसके अलावा महिलाओं को 3 लाख तक के कर्ज पर 2 प्रतिशत ब्याज अनुदान देने, प्रसूति सहायता योजना, कन्या विवाह योजना तथा विशेष पिछड़ी जनजातियों की महिलाओं के लिए पोषण हेतु भी राशि देने का प्रावधान किया गया है। चूंकि यह चुनावी साल है इसलिए सरकार की कोशिश है कि भोपाल और इंदौर में मेट्रो ट्रेन दौड़ने लगे इसलिए इस बजट में 710 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया है। किसी एक वित्तीय वर्ष में मेट्रो पर खर्च होने वाली यह अभी तक की सर्वाधिक राशि है।


और यह भी
मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में शिवराज सरकार ने ई-बजट पेश किया और इसके लिए सभी विधायकों को टैबलेट भी दिए गए। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने इन्हें विधानसभा सचिवालय को दूसरे ही दिन लौटा दिया। शून्यकाल में इसकी जानकारी देते हुए उन्होंने कहा था कि ये टैबलेट चीन से आये हुए हैं और इन पर चीन में बनने की बात लिखी हुई है। एक तरफ सरकार चीन से सामान लेने का विरोध करती है वहीं दूसरी तरफ उससे ही खरीद कर टैबलेट बंटवाती है। संसदीय कार्यमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा का कहना था कि टैबलेट एपल कंपनी का है और उसके दुनिया में अलग-अलग स्थानों पर प्रतिष्ठान हैं और अलग-अलग जगहों पर चीजें बनती हैं।

-लेखक सुबह सवेरे के प्रबंध संपादक हैं
-सम्पर्क: 9425010804, 7999673990

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