आलेख
राजेश बादल
ख़बर राहत देने वाली है।ऑस्ट्रेलिया की संसद ने बच्चों और किशोरों को मीडिया के नए विकराल और ज़हरीले संस्करणों से बचाने का प्रयास किया है।संसद में प्रस्तुत एक विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि बालिग़ होने तक इस पीढ़ी के लिए मीडिया के आधुनिक अवतारों पर बंदिश लगा दी जाए।अच्छी बात है कि विधेयक बच्चों को इस मानसिक प्रदूषण से बचाने की ज़िम्मेदारी माता-पिता पर नहीं डालता।वह एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम और टिक टॉक जैसे मंचों को चेतावनी देता है कि यदि उन्होंने प्रतिबन्ध का पालन नहीं किया और कम उमर के बच्चों को अपने प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने दिया तो अधिकतम साढ़े बत्तीस मिलियन डॉलर याने लगभग 274 करोड़ रूपए का अर्थ – दंड भुगतना पड़ेगा।संसद के इस दस्तावेज़ में कहा गया है कि 14 से 17 साल की आयु वर्ग के क़रीब 66 फ़ीसदी किशोरों ने मीडिया के इन मंचों पर ऐसी सामग्री देखी,सुनी या पढ़ी है,जो उनके लिए नहीं थी।इनमें अश्लील, नशीला, आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाला और स्वयं को नुक़सान पहुंचाने वाली दृश्य – श्रव्य और पठनीय ज़हरीली सामग्री शामिल है।अच्छी बात है कि इस विधेयक को ऑस्ट्रेलिया के पक्ष और प्रतिपक्ष का समर्थन मिल गया है। इसलिए एक साल के अंदर यह अमल में लाया जा सकता है। हालाँकि विधेयक के प्रारूप पर प्रश्न उठाया जा सकता है कि इसमें दस से तेरह और अठारह से बीस बरस की आयु के बच्चों तथा युवाओं को शामिल क्यों नहीं किया गया है।यह अवस्था भी नाजुक और संवेदनशील होती है।इसके आगे पढ़िए यह स्तंभ –