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हत्या की दो घटनाओं से थर्राया तिल्दा नेवरा क्षेत्र

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सुरेंद्र जैन धरसीवां
तिल्दा नेवरा क्षेत्र में बीती रात हत्या की दो घटनाओं ने कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं क्या अपराधी इतने बेखौफ हो गए हैं कि अब त्योहारों पर भी लोग घरों से न निकलें।
जानकारी के मुताबिक बीती रात्रि वार्ड क्रमांक 8 नेवरा के उतारू पारा में ग्राम तुलसी नेवरा निवासी ओम प्रकाश रात्रे पिता जती राम रात्रे उम्र 22 वर्ष की अज्ञात हत्यारों ने चाकू से गोदकर हत्या कर दी मृतक के शरीर पर चोट के गंभीर निशान मिले हैं।
शनिवार की सुबह लोगों ने शव देखा और पुलिस को घटना की सूचना दी सूचना पर नेवरा पुलिस एवं रायपुर से फोरेंसिक टीम, क्राइम ब्रांच सहित सीएसपी घटनास्थल पहुंचे मौका मुआयना करने के बाद शव को पीएम के बाद परिजनों को सौंपा
हत्या की दूसरी बारदात बीती रात्रि को ही ग्राम सरोरा में ढाबा तालाब के पास हुई यहां मनीष यादव पिता दिलीप यादव उम्र 27 वर्ष की अज्ञात हत्यारों ने हत्या के दी, परिजनों के अनुसार मृतक मनीष रात 8 बजे घर से निकला था एवं रात लगभग 10 बजे परिजनों को पता चलने पर उसे तिल्दा मिशन अस्पताल लाया गया मृतक के कमर के नीचे धारदार हथियार से वार कर उसकी हत्या की गई है
दीपावली के पावन पर्व पर हत्या की इन दो घटनाओं ने जहां लोगों को विचलित कर दिया तो वही कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं कि क्या अपराधियों में कानून का कोई खौफ नहीं रहा आखिर कैसे अपराधी इतने बेखौफ होते जा रहे हैं कि किसी की भी हत्या करना आम बात होती जा रही है
बात सिर्फ तिल्दा की नहीं बल्कि राजधानी रायपुर उरला में भी चाकूबाजी और हत्या की घटनाओं ने झकझोर कर रख दिया है हालांकि उरला पुलिस ने तो हत्या के आरोपी को तत्काल गिरफ्तार करने में सफलता भी हासिल कर ली थी लेकिन बीते कुछ समय से हो रही इन घटनाओं के बाद अब रायपुर जिला पुलिस को चोरी लूटपाट चाकूबाजी की घटनाओं के निगरानी बदमाशों के खिलाफ ओर भी सख्ती करने की जरूरत है।
*दस बजे के बाद क्या संभ्रांत लोग निकलते हैं घरों से*
रायपुर जिले में उरला सिलतरा तिल्दा नेवरा मांढर खरोरा आदि क्षेत्रों में आसपास चारों तरफ औद्योगिक इकाइयां भी हैं जिनमें काम करने वाले श्रमिक हों या फेक्ट्री कर्मी वह तो ड्यूटी आते हैं और सीधे घर चले जाते हैं संभ्रांत परिवार के लोग भी बेमतलब रात दस के बाद घरों से नहीं निकलते तो फिर रात दस के बाद औद्योगिक क्षेत्रों के आसपास गांवों में देर रात तक वाइको से फर्राटे भरते हुए रात 12 बजे से रात 3बजे तक कौन हैं जो घूमते हैं उन पर अंकुश क्यों नहीं लगता रात दस के बाद बेमतलब घूमने वालों से पूंछताछ क्यों नहीं होती और देर रात वाइको से फर्राटे भरने वालों को पुलिस अंदर क्यों नहीं करती यदि पुलिस रात दस बजे के बाद बेमतलब घूमने वालों पर अंकुश लगाए तो भी चोरी लुट की बढ़ती घटनाओं पर काफी अंकुश संभव है

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