देवेन्द्र तिवारी सांची,रायसेन
इन दिनों मंहगाई अपने चरम पर पहुंच चुकी है जिससे मंहगाई तले आम आदमी दबता ही जा रहा है कुछ तो मंहगाई सरकार के टेक्सो से बढ़ रही है तो कुछ व्यापारिक प्रतिष्ठान स्वयं बढ़ा कर बारे न्यारे हो रहे हैं परन्तु इस मंहगाई की सुध न तो सरकारों को ही आ रही है न ही प्रशासन को ही जांचने की फुर्सत मिल पा रही है जिसका सीधा असर आम आदमी की पहुंच से बाहर होता जा रहा है डीजल पेट्रोल के दाम आये दिन बढ़ते नजर आ रहे हैं तो राशन की मंहगाई भी चरम पर पहुंच चुकी है तो महिलाओं की रसोई भी मंहगी हो चुकी है और तो और सब्जी ने भी रिकॉर्ड तोड रखे हैं इस बढ़ती मंहगाई से सरकारें सरकारी कर्मचारी अधिकारियों के तो वेतन भत्ते बढ़ाकर उन्हें राहत दे देती है परन्तु आम आदमी को कहीं से कोई राहत की उम्मीद नजर नहीं आती जिससे आम आदमी का जीना मुहाल हो चुका है हालांकि ग़रीब आदमी को तो सरकारे मुफ्त राशन उपलब्ध करा देती है तब उन्हें भी थोडी बहुत राहत मिल जाती है इसी प्रकार अमीर आदमी को न तो मंहगाई से फर्क पड़ता है न ही कम दामों का ही असर पड़ता है इस मंहगाई के बोझ तले सबसे अधिक प्रभावित मध्यम वर्गीय परिवार होता है जिसपर सीधा असर सस्ता होने तथा मंहगाई का दिखाई दे जाता है इस मंहगाई के बोझ तले दबता चला जाता है सरकारें मध्यम वर्गीय परिवारों के हित में न तो कोई योजना ही लागू कर पाती है न ही सुध लेने की जहमत ही उठा पाती है जिससे उनका जीवन मुहाल हो उठता है। इस लगातार बढ़ती मंहगाई का असर न केवल आम आदमी ओर मध्यम वर्ग पर पड़ रहा है बल्कि किसान जिसे अन्नदाता कहा जाता है वह भी इससे अछूता दिखाई नहीं दे रहा । कुछ तो मंहगाई सरकारों के विभिन्न करों से बढ़ गई है तो वहीं व्यापारी भी मनमर्जी से मंहगाई बढ़ा कर मजे मार रहे हैं आम आदमी पिसता जा रहा है इस मंहगाई की सुध न तो खाद्य अमले को ही रहीं हैं न ही स्थानीय प्रशासन पुलिस प्रशासन के साथ ही राजस्व अमले ने भी इस बढ़ती मंहगाई की सुध लेने हिम्मत जुटाई । इस मंहगाई की सुध यदि प्रशासन ले तो लोगों को कुछ हद तक राहत मिल सकती है तथा मनमर्जी से बढाई गई मंहगाई पर लगाम लग सकेगी।