मुकेश साहू दीवानगंज रायसेन
दीवानगंज सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में रात दिन कहीं ना कहीं खेत की नरवाई मैं आग लगाई जा रही है। जबकि शासन द्वारा खेतों में पराली जलाने पर रोक लगाई है, लेकिन इसके बाद भी स्थानीय किसान इस आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। वह हार्वेस्टर से कटवाई गई गेहूं की फसल के बाद खेतों में खड़े डंठलों को आग लगा रहे हैं। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि खेत में कई वैक्टीरिया होते हैं, जो उपज के लिए लाभदायक होते हैं। लेकिन, खेतों में आग लगाने के कारण यह वैक्टीरिया मर जाते हैं। इससे खेतों की उत्पादन क्षमता प्रभावित होगी है। पर्यावरण भी प्रदूषित होता है। इसलिए पराली पर आग लगाने की अनुमति नहीं है, लेकिन किसान नहीं मानते हैं और मनमाने तरीके से खेत में खड़े डंठलों को आग लगाकर जला देते हैं। हालांकि प्रशासन की ओर से पराली जलाने पर जुर्माना का भी प्रावधान है, लेकिन इससे किसानों को कोई फर्क नहीं पड़ता है। जिला प्रशासन ने भले ही नरवाई जलाने को लेकर प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए हो, लेकिन इसका असर नहीं दिख रहा है। प्रशासन ने प्रदूषण और आगजनी की घटनाएं रोकने के लिए गेहूं कटाई से पूर्व सख्त आदेश जारी किए थे। आदेश के तहत नरवाई जलाने पर प्रतिबंध के साथ ही दंड का प्रावधान रखा था। इसके बाद भी इस आदेश का न तो किसानों ने पालन किया और न ही प्रशासन स्तर से कोई ठोस कार्रवाई की गई। इसके परिणामस्वरूप पिछले 20 दिन में दीवानगंज सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र में लगातार नरवाई में आग लगा जा रही है अभी तक करीब 30 प्रतिशत से ज्यादा क्षेत्र में नरवाई जलाई जा चुकी है। रातभर खेत आग से धधकते रहते हैं और धुएं से आसपास का वातावरण प्रदूषित हो रहा है।
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