सुरेन्द्र जैन रायपुर
सांकरा निको धरसीवा क्षेत्र के अधिकांश निजी स्कूलो में मनमानी पूरे चरम सीमा पर है यूनिफार्म से लेकर पुस्तक काफी तक खुद ही बच्चो को दो से तीन गुना अधिक रेट में बेंचने का धंधा तक चला रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक क्षेत्र में बड़ी संख्या में निजी स्कूल संचालित हैं एक तरफ जहां मनमानी फीस बसूली जा रही तो वहीं जो स्कूली यूनिफार्म मार्केट में चार पांच सौ तक कि मिलना चाहिए उसे वह स्वयं दो से तीन गुना रेट तक बेंच रहे हैं लंबे समय से यह सब चल रहा है इस विषय मे विकास खण्ड शिक्षाधिकारी संजय पूरी गोस्वामी से बात करने का प्रयास किया लेकिन उनसे चर्चा नहीं हो सकी।
हर साल बदल रहे कोर्स व यूनिफार्म
अधिकांश निजी स्कूल संचालक ग्रामीण क्षेत्रों में हर साल अपना धंधा चलाने के उद्देश्य से अपनी यूनिफार्म में कुछ न कुछ बदलाब करते रहते हैं साथ ही कोर्स में भी कुछ बदलाव करते रहते हैं जिससे उनकी हर साल यूनिफार्म व किताबे बिकती रहें कोई बच्चा अपने बड़े भाई बहिन या अन्य छात्र से लेकर पुरानी यूनिफार्म का उपयोग भी नहीं के कर सकता न ही पास होकर पुरानी यूनिफार्म से काम चला सकता।
थोक दुकानदार से सेटिंग
स्कूल संचालक रायपुर के पंडरी कपड़ा मार्केट के कुछ दुकानदारों से ऐंसी सेटिंग किये हैं कि कोई भी दुकानदार गांवों के छोटे कपड़ा दुकानदारों को उनके स्कूल की ड्रेस बेंचने न दे इसी शर्त पर वह अपने स्कूल में बेंचने थोक में यूनिफार्म लेते हैं
यदि थोक कपड़ा व्यवसायी गांवों के कपड़ा दुकानदारों को स्कूलों की यूनिफार्म बेंचे तो जितने में स्कूल सचालक बेंच रहे उससे दो तीन गुना कम रेट में बच्चों के पालकों को यूनिफार्म मिल सकती है लोकल दुकानदारों से स्कूल संचालक मनमाने रेट पर भी नहीं बेंच पाएंगें।