जबलपुर। हाई कोर्ट ने कलेक्टर के आदेश को सही पाया और शराब ठेकेदार की याचिका नितस्त कर दी। दरअसल, फर्जी बैंक गारंटी पेश करने पर शराब दुकान का लाइसेंस निरस्त करते हुए कलेक्टर ने नये टेंडर आमंत्रित करने के आदेश जारी किए थे, जिसको लेकर शराब ठेकेदार ने याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति जीएस आहलुवालिया व न्यायमूर्ति एके सिंह की युगलपीठ ने भोपाल जिला कलेक्टर के आदेश को सही ठहराते हुए याचिका निरस्त कर दी।
तीन पार्टनर हैं फर्म में
राठौर एंड मेहता एसोसिएटस की ओर से दायर याचिका में कहा था कि उनके फर्म में तीन पार्टनर हैं। फर्म में संजीव कुमार मेहता तथा सुरेन्द्र राठौर की 45 प्रतिशत भागीदारी तथा सुशील सिंह की 10 प्रतिशत भागेदारी है। संजीव कुमार ने अपने हिस्से से 15 प्रतिशत की भागीदारी आनंद त्रिपाठी को प्रदान की थी।
गारंटी की जांच करने पर फर्जी पाई
आनंद त्रिपाठी के पिता नारायण त्रिपाठी ने भोपाल स्थित लालघाटी शराब दुकान के लाइसेंस के लिए यूनियन बैंक सिलीगुड़ी से बनी बैंक गारंटी उन्हें दी थी। उनके द्वारा उक्त बैंक गारंटी आबकारी विभाग में जमा की थी। बैंक गारंटी की जांच करने पर वह फर्जी पाई गई और कोहेफिजा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है।
पुन: ई-टेण्डर आमंत्रित
जिला कलेक्टर भोपाल को बैंक ने 26 मई को ई-मेल के माध्यम से बैंक गारंटी फर्जी होने की सूचना दी थी। कलेक्टर ने उसी दिन उनका लाइसेंस निरस्त कर दिया और अगले दिन 27 मई को पुन: ई-टेंंडर आमंत्रित करने आदेश जारी कर दिए। याचिका में कहा गया था कि बैंक गारंटी फर्जी है, इस संबंध में उनको जानकारी नहीं थी।
आदेश को उचित ठहराया
बैंक गारंटी नारायण त्रिपाठी ने बनाकर दी थी, जिसे असली मानकर उन्होंने जमा किया था। कलेक्टर ने सुनवाई का अवसर दिए बिना ही लाइसेंस निरस्त कर दिया। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि फर्जीवाड़ा कर लाइसेंस लिया गया था, इसलिए आबकारी एक्ट की धारा 31 के तहत सुनवाई का अवसर प्रदान नहीं किया जा सकता है। युगलपीठ ने कलेक्टर के आदेश को उचित ठहराते हुए शराब ठेकेदार की याचिका निरस्त कर दी।
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