दुर्गा सप्तशती में 360 शक्तियों का वर्णन किया गया है। साथ ही इसमें महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की महिमा का वर्णन है। मां दुर्गा की साधना के लिए किए जाने वाले दुर्गा सप्तशती के 13 पाठों का अपना विशेष महत्व है।
प्रथम अध्याय- दुर्गा सप्तशती का प्रथम पाठ करने से जातक की सभी चिंताएं दूर होती हैं।
द्वितीय अध्याय- दुर्गा सप्तशती के द्वितीय का अध्याय पाठ करने से हर तरह की शत्रुबाधा दूर होती है। साथ ही कोर्ट-कचहरी आदि से जुड़े मुकदमे में विजय प्राप्त होती है।
तृतीय अध्याय- दुर्गा सप्तशती के तृतीय अध्याय का पाठ करने से जातक के जीवन से शत्रुओं का नाश होता है।
चतुर्थ अध्याय- चतुर्थ अध्याय का पाठ करने से मां शेरावाली के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है।
पंचम अध्याय- पांचवें अध्याय का पाठ करने से भक्ति, शक्ति एवं देवी दर्शन का आशीर्वाद मिलता है।
षष्ठम अध्याय- वहीं दुर्गा सप्तशती के छठवें अध्याय का पाठ करने से जीवन से दुख, दारिद्रय, भय आदि दूर होता है।
सप्तम अध्याय- सातवें अध्याय का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
अष्टम अध्याय- आठवां अध्याय वशीकरण एवं मित्रता करने के लिए किया जाता है।
नवम अध्याय- नौवें अध्याय का पाठ संतान की प्राप्ति और उन्नति के लिए किया जाता है।
दशम अध्याय- वहीं दसवें अध्याय का पाठ करने पर नौवें अध्याय के समान ही फल प्राप्त होता है।
एकादश अध्याय- एकादश यानी ग्यारहवें अध्याय का पाठ तमाम तरह की भौतिक सुविधाएं प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
द्वादश अध्याय- दुर्गा सप्तशती के बारहवें अध्याय के पाठ को मान-सम्मान एवं लाभ दिलाने वाला माना गया है।
त्रयोदश अध्याय- इसके अलावा दुर्गा सप्तशती के तेरहवें अध्याय का पाठ विशेष रूप से मोक्ष एवं भक्ति के लिए किया जाता है।