ओवरलोड मिलने पर डेढ़ लाख रुपए की बिलिंग
कॉलोनाइजर करता था चोरी के राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के एवं दीनदयाल उपाध्याय योजना के पोल का उपयोग
रायसेन में भी है जफर के भाई की है कालोनियां, जहां लगे विधुत पोल भी शंका के दायरे में,हो विस्तृत और निष्पक्ष जांच,अस्पताल में भी विधुत की जांच हो
पुलिस नही कर रही आरोपी पर चोरी का मामला दर्ज
गंजबासौदा से राजीव शर्मा की रिपोर्ट
विधुत कंपनी भोपाल की विजिलेंस टीम ने बुधवार दोपहर कॉलोनाइजर जफर कुरैशी के आवास और कॉलोनियों में विद्युत कनेक्शन, लोड, खंभा और ट्रांसफार्मर आदि की जांच की। विजिलेंस टीम ने जांच के साथ ही कार्रवाई की पूरी वीडियोग्राफी भी कराई।
कार्रवाई के दौरान आवास पर ताला लगा हुआ था। घर पर कोई मौजूद नहीं था। जांच दल ने पहले आवास के कनेक्शन चेक कर लोड देखा। इसके बाद कॉलोनाइजर की कॉलोनियों में जांच पड़ताल की। घर पर ताला लगा हुआ था। कर्मचारी नसेनी के माध्यम से चढ़े। जांच दल के साथ तहसीलदार कमल सिंह मंडेलिया और देहात थाना प्रभारी कुंवर सिंह मुकाती भी मौजूद थे।
बिजली कंपनी के नवागत एसई संपूर्णानंद शुक्ला पर लोकायुक्त द्वारा की गई कार्रवाई के बाद जिले के विद्युत कर्मचारी इस कार्रवाई के विरोध में लामबंद हैं। इसके चलते 23 मार्च को विद्युत विभाग के सभी दफ्तरों में ताले पड़े रहे। कर्मचारी और अधिकारी विदिशा धरने में शामिल हुए।
कार्रवाई न होने पर धरना आंदोलन की चेतावनी
बिजली कर्मचारी यूनियन का कहना है वेयरहाउस मालिक जफर कुरेशी ने पिछले दिनों अंबा नगर के वेयर हाउस में ट्रांसफार्मर कनेक्शन और चार्ज करने के लिए एसई द्वारा 15 हजार रुपए की रिश्वत मांगने की शिकायत की थी। लोक आयोग से इस मामले में एस ई को रिश्वत लेने के आरोप में पकड़ा था। मामला दर्ज किया था। विद्युत कर्मचारी यूनियन ने कॉलोनाइजर पर गंभीर आरोप लगाते हुए महाप्रबंधक को जबरन जबरन फंसाने और दबाव बनाने की कार्रवाई बताया और शासन से इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की। कार्रवाई न होने पर धरना आंदोलन की चेतावनी दी।
जफर कुरेशी द्वारा अपने वेयरहाउस के निर्माण के लिए जो 11 केवी लाइन खड़ी की गई। वह लाइन अवैध पाई गई उसमें सारे खंबे विद्युत विभाग के यूज किए गए थे एवं कुछ खंबे चोरी से राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के एवं दीनदयाल उपाध्याय योजना के पोल यूज किए गए कार्य भी घटिया पाया। विद्युत की सामग्री चोरी करने लाइन से छेड़छाड़ करने के लिए उनके विरुद्ध थाने में एफ आई आर दर्ज करने हेतु आवेदन दिया। परंतु आज तक एफ आई आर दर्ज नहीं की गई इससे स्पष्ट है कि पुलिस भी उनके प्रभाव में हैं और उसके विरुद्ध कार्रवाई करने से डरते हैं। उनके द्वारा कई कॉलोनियां विकसित की गई हैं। इसमें कई कॉलोनियों में विद्युत विभाग के ही खंभे चोरी से लगाए गए हैं जो कि जांच का विषय है।
ओवरलोड मिलने पर डेढ़ लाख रुपए की बिलिंग
परमिशन महाप्रबंधक नहीं देते इसलिए मामला संदिग्ध
यूनियन का आरोप है जिस चार्जिंग परमिशन के लिए महाप्रबंधक पर पैसे लेने का आरोप लगाया गया है वह चार्जिंग परमिशन उप महाप्रबंधक एसटीसी द्वारा जारी किया जाता है चार्जिंग परमिशन जारी करने में महाप्रबंधक का कोई रोल नहीं है। लोकायुक्त में 14 तारीख को शिकायत की गई एवं 14 तारीख से ही लोकायुक्त बिना सत्यता जाने इनको फंसाने के लिए घूमना शुरू कर दिया था, परंतु उसके द्वारा चार्जिंग परमिशन के लिए 15 तारीख को आवेदन किया गया। इससे स्पष्ट है कि उसके द्वारा फंसाने के उद्देश्य से ही शिकायत की गई महाप्रबंधक राजगढ़ वृत्त से ट्रांसफर होकर 9 मार्च के शाम को विदिशा आए। 16 तारीख को अपने क्षेत्र में दौरा कर होटल में रात्रि विश्राम के लिए पहुंचे तो होटल के बाहर जैसे ही शुक्ला गाड़ी से उतरे उनकी जेब में जबरदस्ती पैसे रख दिए यह सारा कारनामे लोकायुक्त के सामने हुआ। 15 मार्च को एक अनजान व्यक्ति के साथ महाप्रबंधक के चेंबर में गया उस समय उस समय वह कार्यालय में मौजूद नहीं थे। बाथरूम के पास कोने में मोबाइल पर बात करता रहा फिर दोनों बाहर निकल गए। यह असामान्य व्यवहार समझ से परे था। बार-बार फोन पर परेशान करने के कारण उसका कॉल ब्लॉक कर दिया था फिर उससे बात करने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।
ओवरलोड मिलने पर डेढ़ लाख रुपए की बिलिंग
परमिशन महाप्रबंधक नहीं देते इसलिए मामला संदिग्ध
यूनियन का आरोप है जिस चार्जिंग परमिशन के लिए महाप्रबंधक पर पैसे लेने का आरोप लगाया गया है वह चार्जिंग परमिशन उप महाप्रबंधक एसटीसी द्वारा जारी किया जाता है चार्जिंग परमिशन जारी करने में महाप्रबंधक का कोई रोल नहीं है। लोकायुक्त में 14 तारीख को शिकायत की गई एवं 14 तारीख से ही लोकायुक्त बिना सत्यता जाने इनको फंसाने के लिए घूमना शुरू कर दिया था, परंतु उसके द्वारा चार्जिंग परमिशन के लिए 15 तारीख को आवेदन किया गया। इससे स्पष्ट है कि उसके द्वारा फंसाने के उद्देश्य से ही शिकायत की गई महाप्रबंधक राजगढ़ वृत्त से ट्रांसफर होकर 9 मार्च के शाम को विदिशा आए। 16 तारीख को अपने क्षेत्र में दौरा कर होटल में रात्रि विश्राम के लिए पहुंचे तो होटल के बाहर जैसे ही शुक्ला गाड़ी से उतरे उनकी जेब में जबरदस्ती पैसे रख दिए यह सारा कारनामे लोकायुक्त के सामने हुआ। 15 मार्च को एक अनजान व्यक्ति के साथ महाप्रबंधक के चेंबर में गया उस समय उस समय वह कार्यालय में मौजूद नहीं थे। बाथरूम के पास कोने में मोबाइल पर बात करता रहा फिर दोनों बाहर निकल गए। यह असामान्य व्यवहार समझ से परे था। बार-बार फोन पर परेशान करने के कारण उसका कॉल ब्लॉक कर दिया था फिर उससे बात करने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।
इधर धरना, उधर कार्रवाई
इधर जिला मुख्यालय पर कामकाज बंद करके कार्रवाई की मांग को लेकर बिजली कर्मचारी धरना दे रहे थे। उधर भोपाल से आई विजिलेंस द्वारा जांच की जा रही थी। जिस घर में जांच चल रही थी, ताला लगा हुआ था। लाईनमैनों लकड़ी की सीढ़ी लगाकर बिजली के खंभे पर और बरामदे में चढ़ाया गया। कितनी खपत हो रही थी। इसकी जांच की जा रही थी। बाद में टीम कॉलोनी और नवनिर्मित वेयरहाउस पर भी गई। नगर उप संभाग के उप महाप्रबंधक राजीव रंजन सिंह ने बताया ओवरलोड पाए जाने पर डेढ़ लाख रुपए की बिलिंग की गई है। प्रति महीने 500 के अंदर बिल जमा होता था। जबकि एसी चलाए जा रहे थे।
चोरी का पंचनामा बनाने पर महाप्रबंधक को फंसाने की साजिश
कर्मचारियों का कहना है वेयरहाउस में बिजली नहीं मिलने की शिकायत करने पर महाप्रबंधक द्वारा जेई को चेक करने को भेजा तो पाया उन्होंने स्वयं के व्यय पर एक ट्रांसफार्मर स्थापित कर रखा है। जिसका कार्यआदेश किया गया था परंतु उसके द्वारा कार्यआदेश के शर्तों का पालन नहीं कर ट्रांसफार्मर अवैध रूप से चालू कर बिजली चोरी की जा रही थी। वेयरहाउस का कोई कनेक्शन ही नहीं था। जिसका चोरी का पंचनामा बनाया एवं सप्लाई काट दी। इससे महाप्रबंधक को फंसाने की साजिश की गई।