अनुराग शर्मा
सीहोर। भूतों का नाम सुनते ही अच्छे अच्छों के सिर से पसीना टपकना और चेहरे पर खौफ छाना कोई नई बात नहीं है। अगर यही भूत सामने आए तो क्या स्थिति बनेगी आप समझ सकते हैं। हम आपको ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां भूत और जनता का सीधा आमना सामना होता है। भूतों से आमना सामना होने के दौरान लोग उनसे बातें तक करते हैं। कई बार यह भूत जनता से मिठाई और खाने के लिए पान तक मांगते हैं। उस दौरान लोग भूतों को अपनी समस्या भी बताते हैं।
दरअसल तहसील मुख्यालय इछावर से 25 किमी दूर कालियादेव गांव हैैं। इसकी बड़ी विशेषता यह है कि यहां भूतों का मेला लगता है। सुनने में भले आश्चर्य हो लेकिन यह बात सत्य है। हर भूतड़ी अमावस्या पर इसकी हकीकत देखी जा सकती है। भूतों का मेला इस तरह से लगता है कि उसे देखने के लिए कई जगह से लोग पहुंचते हैं। यहां मौजूद मंदिर में जिसकी मुराद पूरी होती वह पूजा अर्चना कर चढ़ावा चढ़ाने के लिए आते हंै। इससे आए दिन चहल पहल देखी जा सकती है।
सीप नदी के किनारे है
गांव से निकली सीप नदी के किनारे वर्षो पुराना कालियादेव का मंदिर है, उसी से गांव का नाम कालियादेव रखा है। मंदिर में मां काली, भगवान हनुमान सहित अन्य देवी देवताओं की प्रतिमा विराजित है। हर भूतड़ी अमावस्या पर मेला लगता है। दूर दराज से लोग अमावस्या पर नदी में स्नान करने आते हैं। लोगों ने बताया कि जिन लोगों के शरीर में भूत वगैरह आता है या फिर अन्य समस्या है तो स्नान कर मंदिर में पूजा पाठ करने के बाद ठीक होने की अधिकांश संभावना रहती है। यही कारण है कि अमावस्या के साथ पूर्णिमा पर भी श्रद्धालु आस्था के साथ पूजा अर्चना करने आते हैं।
गांव की खासियत
कृषि प्रधान गांव माना जाता हैं। किसान खेती में ही हर साल जी जोड़ मेहनत कर अच्छा उत्पादन लेकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। कई किसान खेती में ही संपन्न बन गए और स्वयं के साधन खरीदने के साथ पक्के मकान बना लिए हैं। ग्रामीण बताते हैं कि कालियादेव सबसे छोटा गया है, फिर भी कई लोग अच्छा पढ़ लिखकर सरकारी नौकरी में लग गए हैं। वह अच्छे पदों पर काबिज होकर गांव को गौरन्वित कर रहे हैं।