भोपाल । भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (निषाद) ने पशुओं में होने वाले वायरल डायरिया का पता लगाने के लिए जांच किट तैयार की है। यह पहली स्वदेशी किट है।
शुक्रवार को संस्थान के 23वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में भारत सरकार के पशुपालन आयुक्त अभिजीत मित्रा ने यह किट देश को समर्पित किया। अब भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) द्वारा यह तकनीक किसी फर्म को हस्तांतरित की जाएगी। इसके बाद फर्म द्वारा व्यावसायिक उत्पादन शुरू किया जाएगा। अगले वर्ष यह किट बाजार में आने की उम्मीद है।
संस्थान के विज्ञानियों ने बताया कि वायरल डायरिया अधिकतर गोवंशी पशुओं में फैलती है। दुर्लभ मामलों में भैंस और बकरियों में भी यह बीमारी देखने को मिलती है। यह वायरस से होने वाली बीमारी है। इससे पशुओं को शुरुआत में दस्त के साथ कई दिक्कतें होती हैं।
निमोनिया, बांझपन और संतान को स्थायी दिव्यांगता भी हो सकती है। दूध का उत्पादन भी घटता है। यह किट एंटीबाडी की जांच से बीमारी का पता लगाती है।
बीमारी होने के लगभग दो सप्ताह बाद एंटीबाडी बनती हैं। बीमारी की जानकारी होने पर टीकाकरण और आइसोलेशन से संक्रमण फैलने से रोका जा सकता है। यह किट संस्थान के निदेशक अनिकेत सान्याल के मार्गदर्शन में प्रधान विज्ञानी डा. निरंजन मिश्रा, एस कालियारासू व अन्य विज्ञानियों ने तैयार की है।
पशु चिकित्सा पढ़ने वाले विद्यार्थियों का निषाद में भी प्रशिक्षण हो
भारत सरकार के पशुपालन आयुक्त अभिजीत मित्रा ने कहा कि पशु चिकित्सा में स्नातक करने वाले विद्यार्थियों को कम से कम तीन दिन निषाद जैसे संस्थान में प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इससे वह बायोलाजिकल सेफ्टी और सिक्युरिटी को अच्छी तरह से समझ सकेंगे।
कार्यक्रम में वेटरनरी काउंसिल आफ इंडिया के प्रेसिडेंट उमेश चंद्र शर्मा, निवेदी बेंगलुरु के डायरेक्टर डा.बीआर गुलाटी, आइसीएआर के एडीजी डा. अशोक कुमार, संचालक पशुपालन डा.आरके मेहिया और संस्थान के पूर्व संयुक्त संचालक डा. एससी दुबे ने भी संबोधित किया। संस्थान के डायरेक्टर अनिकेत सान्याल ने उपलब्धियां और भावी योजनाओं के बारे में बताया।
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