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क्या ऐसे पढ़ेगा इंडिया ऐसे बढ़ेगा इंडिया सांची जनपद क्षेत्र में पढ़ने की उम्र में कचरा बीनने के साथ ही भीख मांग रहे हैं बच्चे

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बाल मजदूरी पर नही लग रही रोक

सलामतपुर रायसेन से अदनान खान की रिपोर्ट।
पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया यह नारा उस तस्वीर के आगे फीका पड़ता दिखाई देता है, जिसमें स्कूल जाने की उम्र में बच्चे थैला लेकर भीख मांगने सहित पन्नी बीनने और बाल मजदूरी करते दिखाई देते हैं। जी हां हमारे सिस्टम की उदासीनता कहें या बाल संरक्षण के प्रति लापरवाही। शिक्षा के लिए करोड़ों रुपए की योजनाएं बनती है, मगर जमीनी स्तर पर आकर कितनी सही साबित होती हैं यह तस्वीर देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं। यह मामला है रायसेन जिले के सांची विधानसभा के सलामतपुर, बेरखेड़ी चौराहा और दीवानगंज क्षेत्र का यहां पर घुमक्कड़ जाति के कई मोहल्ले हैं। सुबह जिस टाइम दूसरे घरों के बच्चे स्कूल के लिए हाथ में बस्ता लेकर निकलते हैं। इस मोहल्ले के बच्चे हाथ में थैला लेकर कचरा बीनने, भीख मांगने या बाल मजदूरी करने जाते हैं। यह हाल है सांची विधानसभा क्षेत्र का आखिर इन बच्चों का बचपन इनसे कौन छीन रहा है। कौन है जिम्मेदार? करोड़ों रुपए की सरकारी योजनाएं बनती है। मगर इन बच्चों तक आखिर क्यों नहीं पहुंच पाती हैं। यह तो हमने एक जगह की तस्वीरें दिखाई हैं आपको। न जाने और कितने बच्चे होंगे, जिनका भविष्य अंधकार में जा रहा है। भले ही हमारे देश में डिजिटल क्रांति की बात की जा रही है । मेकिंग इंडिया की बात की जा रही है । मगर बाल मजदूरी हमारे देश में नासूर बना हुआ है। इसी तरह का एक मामला सलामतपुर के राजीवनगर में भी आया है । जहां भोपा समाज के लगभग 30 से 35 बच्चे शिक्षा से वंचित है। अभी पिछले वर्ष ही राष्ट्रीय बाल एवं संरक्षण अधिकार आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सांची विकासखण्ड के सलामतपुर के पास धपसटनगर, राजीवनगर पहुँचकर भोपा जाति के लोगों से भेंट की थी।तथा बच्चों को मिल रही सुविधाओं का जायजा भी लिया था। सलामतपुर के पास धपसटनगर, राजीवनगर तथा इंद्रा कालोनी में भोपा समाज के लगभग 20 परिवार निवासरत हैं। इन परिवारों में लगभग 30 से 35 बच्चों हैं जो कि शिक्षा से वंचित हैं और इनमें से कुछ बच्चे भिक्षावृत्ति कर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

आयोग अध्यक्ष ने समाज के बच्चों को स्कूल पहुंचाने दिए थे निर्देश–
राष्ट्रीय बाल एवं संरक्षण अधिकार आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने भोपा समाज के लोगों से भेंट करने के पश्चात अधिकारियों से कहा कि भोपा समाज को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए जरूरी है कि उन्हें शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाया जाए। श्री कानूनगो ने अधिकारियों को भी निर्देश दिए थे कि भोपा समाज के लोगों के लिए मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। इसके साथ ही भोपा समाज के बच्चों का स्कूल में दाखिला कराकर स्कूल में नियमित उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। उन्होंने सांची के पूर्व नायब तहसीलदार सुनील प्रभास तथा पूर्व सांची जनपद सीईओ भगवान सिंह को निर्देश देते हुए कहा था कि भोपा समाज की जाति वर्ग का निर्धारण नहीं होने से बच्चों को छात्रवृत्ति योजनाओं का तथा समाज के लोगों को शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसलिए इनकी जाति का निर्धारण करने के लिए आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।

लाभ दिलाने के दिए थे आदेश
बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने क्षेत्र में रह रहे सेहरिया, बछड़ा, सपेरा सहित आदिवासी समाज के लोगों को भी शासकीय योजनाओं से लाभान्वित करने के संबंध में निर्देश दिए थे। वहीं स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी के विधानसभा क्षेत्र दीवानगंज में भी बच्चे स्कूल जाने की जगह हाथ में थैला लेकर कचरा बीनने के लियें बाल मजदूरी कर रहे हैं। अगर शीघ्र ही ज़िम्मेदार अधिकारियों द्वारा इस तरफ ध्यान नही दिया गया तो इन मासूम बच्चों का भविष्य अंधकार में चला जाएगा।

इनका कहना है–
शासन के निर्देश पर लिया गया था इनका फालोअप
शासन ने हमको जो रिपोर्ट दी थी, उसके अनुसार इन सभी के जाति प्रमाण पत्र व बीपीएल कार्ड बनवा दिए गए हैं। ये काम तो शासन ने कर दिया था। इस मामले में ऐसे बच्चों व उनके परिवार का फॉलोअप फिर से लेना चाहिए।
मूलचंद यादव, पूर्व सरपंच सुनारी सलामतपुर।

बच्चों का सर्वे कर लाभ दिलाना चाहिए
सलामतपुर और बेरखेड़ी चौराहा पर ऐसे बच्चे आसानी के साथ मिले जाएंगे, जो कचरा बीनने का कार्य करते हैं। इन सभी बच्चों का स्ट्रीट चिल्ड्रन के अंतर्गत सर्वे कराया जाना चाहिए। कुछ समय पूर्व इनका चाइल्ड लाइन ने भी सर्वे किया था। लेकिन स्तिथि वैसी की वैसी ही है। शासन इनको जल्दी ही स्कूल भेजने सहित परिजनों को अन्य कार्यों में लगाएं।
नीरज जैन बंटी भैया, वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलामतपुर

बाल मजदूरी नहीं करना पड़े, ऐसे प्रयास हों
शासन प्रशासन की तरफ से कचरा बीनने वाले बच्चों के लिए कोई भी ऐसा प्रयास नही किया जा रहा है की उनको बाल मजदूरी के साथ ही भीख भी ना मांगना पड़े। सलामतपुर, दीवानगंज, बेरखेड़ी चौराहा पर ऐसे कई बच्चे मिल जाएंगे जो कचरा बीनने के साथ ही भीख भी मांग रहे है।
रघुवीर मीणा, सरपंच रातातलाई।

जागरुक करना जरुरी।
सलामतपुर, दीवानगंज व बेरखेड़ी क्षेत्र में कुछ पन्नी बीनने वाले और भीख मांगने वाले परिवार के लोग रह रहे हैं। जो अपने बच्चों से भीख भी मांगते हैं। ऐसे परिवारों के लिए शिक्षा के प्रति जागरूक करना आवश्यक है। इनको समझाना पड़ेगा कि बच्चों को पढ़ाना कितना आवश्यक है, लेकिन प्रशासन अपनी तरफ से इनके लिए कोई भी अच्छे कार्य नही कर रहे हैं।
साजिद खान, सलामतपुर।

भीख मांग रहे हैं बच्चे।
ऐसे मामलों में हम बाल संरक्षण के प्रति हमारे सिस्टम की लापरवाही ही कहेंगें कि कहां तो शिक्षा के लिए करोड़ों रुपए की योजनाएं बनती हैं। ज़मीनी हकीकत में बच्चे बाल मजदूरी करने के साथ ही भीख भी मांग रहे हैं। शासन या प्रशासन के लोग एक बार भी इन बच्चों को समझाने के लिए नही पहुंचते हैं। जिसकी वजह से इनको पन्नी बीनने के साथ ही भीख भी मांगना पड़ रही है।
कैलाश गोस्वामी, समाजसेवी रातातलाई सलामतपुर

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