रोशनी का पर्व दीपावली हर्षोल्लास के साथ आज सोमवार को मनाया जा रहा है। 24 अक्तूबर की ही शाम 5:28 बजे से अमावस्या तिथि लग जाएगी, जो 25 अक्तूबर की शाम 4:19 बजे तक रहेगी। क्योंकि 25 अक्तूबर को प्रदोष काल से पहले अमावस्या समाप्त हो जाएगी। इसलिए 24 अक्तूबर को ही दीपावली मनाई जाएगी। कार्तिक कृष्ण अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है।
भगवान राम 14 वर्ष के वनवास एवं लंका विजय के उपरान्त अयोध्या लौटे थे। इस अवसर पर लोगों ने घरों में दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था। तब से इसे दीपावली के रूप में मनाते है। दीपावली पर्व महालक्ष्मी पूजा का विशेष पर्व है। कहते है कि अर्ध्य रात्रि में महालक्ष्मी विचरण करती हैं। दीपक जलाने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती और उस घर में निवास करती हैं। दीपावली में शाम को शुभ लग्न में श्रीगणेश, लक्ष्मी और कुबेर भगवान का पूजन करें। महानिशिथ काल में महाकाली का पूजन करना चाहिए। महाकाली पूजा से मनोकामनाओं की पूर्ति शत्रु भय से मुक्ति और मुकदमें में विजय प्राप्त होती है। दीपावली पर दक्षिणावर्तीं शंख, श्री यंत्र, गोमती चक्र, लक्ष्मी कुबेर यंत्र, हल्दी की गांठ, लघु नारियल आदि को भी स्थापित करने से सुख, धन की वृद्धि होती है।
23 अक्तूबर की शाम 06:04 बजे से चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होगी, जो 24 की शाम 5:28 बजे तक रहेगी। उदया तिथि अनुसार 24 अक्तूबर को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी। कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को 24 अक्तूबर को नरक चतुर्दशी और रूप चतुर्दशी (रूप निखारने का पर्व) के पर्व के रूप में मनाया जाएगा। रूप चतुर्दशी के दिन सूर्योदय के पूर्व उठकर तिल के तेल से मलिश करके स्नान करना चाहिए। उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण के निमित्त दीपक जलाकर लंबी उम्र और आरोग्य की प्रार्थना करें। अपनी समृद्धि के प्रार्थना करें। शाम को महालक्ष्मी और कुबेर के निर्मित दीपक प्रज्जवलित कर उनके मंत्रो का जाप और आर्थिक समृद्धि की प्रार्थना करें।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजा प्रदोषकाल, वृषभ लग्न और सिंह लग्न में करना और काली पूजा अमावस्या मध्य रात्रि में करना श्रेष्ठ है।
प्रदोषकाल- सायंकाल 05:25 से 06:13 बजे और वृषभ लग्न- सायंकाल 06:44 से 08:37 बजे (घर में पूजा के लिए)
सिंह लग्न- रात्रि 01:19 से 03:26 (ईष्ट साधना सिद्धि के लिए)
महानिशिथ काल- रात्रिकाल 11:25 से 12:16 बजे (काली पूजा तथा तांत्रिक पूजा के लिए)