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सीसीआई के बच्चे भी लोकसेवाओं के लिए सक्षम हैं-अरुणा मोहन राव

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पीएम केयर्स के क्रियान्वयन में मप्र तीसरे क्रम पर :श्रीवास्तव

बच्चों के लिए बनाया जाए अलग मंत्रालय:राघवेंद्र शर्मा

शिवपुरी से रंजीत गुप्ता

बाल देखरेख संस्थाओं(सीसीआई) में रहने वाले बच्चे भी असीम संभावनाओं से युक्त है अगर उन्हें उचित अवसर औऱ मार्गदर्शन उपलब्ध कराने के लिए समाज अपनी भूमिका का निर्वहन करे तो अखिल भारतीय सेवाओं में भी वे सफल हो सकते है।मप्र की पूर्व डीजीपी अरुणा मोहन राव ने यह बात आज चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन की 101 वी ई संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही।श्रीमती राव ने अपने मार्गदर्शन में चलने वाली अकेडमी में मप्र के ऐसे बच्चों के लिए विशेष सुविधाओं के साथ प्रवेश का वादा भी किया।संगोष्ठी में महिला बाल विकास के प्रोजेक्ट ऑफिसर विशाल आनन्द श्रीवास्तव ने भी पीएम केयर्स फ़ॉर चिल्ड्रन योजना के संबंध में जानकारी दी।
श्रीमती राव ने कहा कि बेशक आज प्रशासनिक सेवाओं का क्षेत्र अत्यधिक प्रतिस्पर्धी औऱ कठिन हो गया है लेकिन समयबद्ध एवं अनुशाषित समर्पण के बल पर इन सेवाओं में जाना असंभव नही है।उन्होंने बच्चों को उनकी प्रतिभा के साथ बचपन से समानान्तर तैयारी की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि लोकसेवाओं की परीक्षा आपके अध्ययन की गहराई औऱ विश्लेषणात्मक क्षमताओं का परीक्षण करती हैं।इसलिए बच्चों को आरम्भिक तैयारी के लिए हमें एनसीईआरटी की पुस्तकों को गहराई से पढ़ने और समझने की आदत विकसित करना चाहिए, उन्होंने दैनिक अखबार को सामान्य अध्ययन का सबसे सशक्त माध्यम बताते हुए कहा कि बच्चों को चाहिए कि वे अखबार से प्रतिदिन नोट्स बनाएं।इंटरव्यू की चर्चा करते हुए श्रीमती राव ने बताया कि यह बच्चों के व्यक्तित्व की समग्रता का मूल्यांकन होता है।इसके माध्यम से परिपक्वता, आत्मविश्वास, त्वरित निर्णयन,आत्म अभिव्यक्ति औऱ अवधारणात्मक समझ का परीक्षण किया जाता है।
महिला बाल विकास के प्रोजेक्ट ऑफिसर विशाल आनन्द श्रीवास्तव ने कोविड में अपने माँ पिता गंवा चुके बच्चों के बेहतर पुनर्वास के लिए आरम्भ पीएम केयर्स फ़ॉर चिल्ड्रन योजना के संबंध में बताया कि यह दुनिया की सर्वाधिक प्रामणिक योजना है।बाल कल्याण समितियों को अपने जिलों में इस योजना के सभी पंजीकृत हितग्राही बच्चों पर सतत निगरानी की आवश्यकता है।योजना में चयनित बच्चों को नजदीक के केंद्रीय विद्यालय,नवोदय विद्यालय, से लेकर सैनिक स्कूलों तक मे प्रवेश की व्यवस्था की गई है।उन्होंने बताया कि देश भर में मप्र इस योजना के बेहतर क्रियान्वयन में तीसरे क्रम पर है।
चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ राघवेंद्र शर्मा ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा कि देश में 0 से 18 बर्ष की आयु वर्ग की 41 फीसदी आबादी है इसलिए हम चाहते है कि बच्चों के लिए एक स्वतंत्र मंत्रालय का गठन किया जाए।उन्होंने कहा कि भारत में जिस तरह से प्रधानमंत्री के आह्वान पर विकलांग शब्द विलोपित हो गया है वैसे ही अनाथ शब्द भी प्रचलन औऱ व्यवहार से खत्म होगा क्योंकि जिन बच्चों की जिम्मेदारी अभिभावक के रूप में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ले रहे है वे अनाथ कैसे हो सकते हैं।
संगोष्ठी का संचालन करते हुए फाउंडेशन के सचिव डॉ कृपाशंकर चौबे ने कहा कि मप्र में फाउंडेशन की पहल पर बच्चों के लिए अलग बजट का प्रावधान हुआ है साथ अनाथ शब्द की जगह स्वानाथ को मंजूरी मिलना सुखद संकेत है।संगोष्ठि में फाउंडेशन से जुड़े15 राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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