–मोहनजोदारो से स्वतंत्रता संग्राम युग तक की सामग्रियों से भारत की एतिहासिक विरासत और गौरवशाली सांस्कृतिक परम्परा से रु-ब-रू हुए भेल कालेज के विद्यार्थी
भोपाल । बाबूलाल गौर शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय भेल भोपाल के विद्यार्थियों ने भारत की एतिहासिक विरासत और गौरवशाली सांस्कृतिक परम्परा को समझने का अवसर पाया।
महाविद्यालय के प्राचार्य डा संजय जैन ने बताया कि उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशो के परिपालन में छात्र -छात्राओं के एक दल ने राज्य संग्रहालय भोपाल का भ्रमण कर भारत की एतिहासिक विरासत और गौरवशाली सांस्कृतिक परम्परा को निकट से जाना . जिसमें उल्लेखनीय है कि पुरातत्व विभाग द्वारा सुरक्षित रखी गई मोहनजो दारो से प्राप्त सामग्री, मध्य प्रदेश के प्रमुख स्थलों से प्राप्त 10वीं और 11वीं सदी की प्रतिमाएं , छठवीं शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 20वीं शताब्दी तक की प्राचीन मुद्राएं और 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में उपयोग की जाने वाली महत्वपूर्ण बंदूकों व रायफलों का अवलोकन किया .हस्तलिखित ग्रंथ भोजपत्र , 15वीं एवं उसके बाद की शताब्दियों की हस्तलिखित प्रतियाँ भी देखी
भोपाल के नवाबों के समय की ढाई सौ वर्ष पुरानी प्राचीन कलाकृतियां एवं नवाब परिवार की शेरवानियां,होलकर, बुंदेला परिवार एवं सिंधिया घराने की पगड़ियाँ एवं विभिन्न अवसरों पर पहने जाने वाले वस्त्र देखे ग्वालियर एवं इंदौर एवं भोपाल रियासत के अभिलेखों से भारत के गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक परम्पराओं को समझा और अनुमान लगाया कि मानव जाति अतीत में चुनौतियां का सामना कैसे करती होगी .इस अवसर पर संग्रहालय में एक फ्रेंच दम्पत्ति जिसमे पुरुष पेशे से इंजीनियर और महिला डाक्टर थी ,से मिलना रोमांचकारी रहा उन्होने भारत के आतिथ्य की सराहना करते हुए इसे एक यूनिक होस्ट कंट्री की संज्ञा दी .
यह शैक्षणिक भ्रमण ट्रेवल टूरिज्म पाठ्यक्रम समन्वयक प्रो.चित्रा खरे के संयोजन मे तथा विषय विशेषज्ञ प्रो. ललित गौड़, प्रो.अनुपमा गीते, डा.अनुपमा यादव के मार्गदर्शन में आयोजित था .विषय विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से संग्रहालय की सामग्रियों की विस्तृत जानकारी पाकर छात्र -छात्राएं अभिभूत हो गये.जिन चीजो के बारे में किताबों मे पढ़ा करते थे उन्हे साक्षात देख कर भारत की विरासत और संस्कृति को निकट से समझने का अवसर पाया.