मुकेश साहू दीवानगंज रायसेन
ग्राम सेमरा के गायत्री मंदिर में चल रही भागवत कथा के चौथे दिन पंडित शास्त्री ने कहा कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा ,सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। जैसे ही कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ पूरा पंडाल जयकारों से गूंजने लगा। श्रीकृष्ण जन्म उत्सव पर नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैयालाल की भजन प्रस्तुत किया तो श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर जमकर झूमे। महोत्सव में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भजन कीर्तन कर भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशियां मनाई।
शास्त्री ने आगे कहा कि जब देवासुर संग्राम के बाद समुद्रमंथन हुआ तो, समुद्रमंथन से भगवान धन्वंतरि स्वर्ण अमृत कलश लेकर प्रकट हुए।
लेकिन अमृत के जरिए अमर होने की चाह, सभी देवताओं और दानवों को थी। वो सभी उनके पीछे भागने लगे। इस बीच अमृत कलश से अमृत छलक 16 जगहों पर गिरा। जिनमें से चार पवित्र जगहों पर पृथ्वी पर और बाकी 12 जगहों पर स्वर्ग में गिरा।पृथ्वी पर जिन 4 जगहों पर अमृत गिरा वो थीं, इलाहाबाद, नाशिक, उज्जैन और हरिद्वार। इन स्थानों पर हर 12वें वर्ष में महाकुंभ स्नान का आयोजन होता है।
इस वर्ष कुंभमेला प्रयागराज में चल रहा है जो 13 जनवरी से आरंभ हुआ है और 26 फरवरी तक चलेगा। कुंभ मेला के समय इन पवित्र नदी में स्नान करने से आत्मा की शुद्धि और पापों से मुक्ति मिलती है।