सुनील सोन्हिया की रिपोर्ट
भोपाल। भारत में चित्रकला का इतिहास बहुत पुराना रहा हैं। पाषाण काल में ही मानव ने गुफा चित्रण करना शुरु कर दिया था। होशंगाबाद और भीमबेटका क्षेत्रों में कंदराओं और गुफाओं में मानव चित्रण के प्रमाण मिले हैं। इन चित्रों में शिकार, शिकार करते मानव समूहों, स्त्रियों तथा पशु-पक्षियों आदि के चित्र मिले हैं।
अजंता की गुफाओं में की गई चित्रकारी कई शताब्दियों में तैयार हुई थी, इसकी सबसे प्राचीन चित्रकारी ई.पू. प्रथम शताब्दी की हैं। इन चित्रों मे भगवान बुद्ध को विभिन्न रुपों में दर्शाया है कोई भी व्यक्ति चित्रकार बन सकता है कोरोना काल में लोगो को घर पर ही रहना पड़ा तब लोगो के अंदर की कलाकारी बाहर निकल कर आने लगी ऐसी ही एक उभरती हुई चित्रकार पूनम शर्मा
है जो मंडीदीप में रहती है स्टूडेंट है कोरोना के मरीजों की स्थिति परिस्थिति को कलम कूचे से पेपर पर कुछ इस तरह उकेरा कि वो जीवंत लगने लगे हैं पूनम ने हमारे सांस्कृतिक प्रतिनिधि सुनील सोन्हिया से मुलाकात में बताया कि उन्होने चित्रकला का कोई कोर्स नही किया है बस मन में जो भाव आए उन्हे ही प्रकट किया है।