दमोह से धीरज जॉनसन की विशेष रिपोर्ट
दमोह जिले के इतिहास की अधिकांश झलक तब दिखाई देती है जब यहां के सुदूर इलाकों का भ्रमण किया जाता है, तब यहां की कलाकृति,भित्ति चित्र,प्राचीन जल के स्रोत और स्थल दिखाई देते है, जिनमें से कुछ तो अब तक प्रकाश में नहीं आए है।
जिला मुख्यालय से करीब 55 किलोमीटर दूर मडियादो-राजपुरा मार्ग पर वीरान मौजे और खेतों में प्राचीन मूर्ति,सुंदर कलाकृति और युद्ध का चित्रांकन करते हुए शिलालेख दिखाई देते है जिन्हे देखकर लगता है कि इन्हे अब तक संरक्षित हो जाना चाहिए था पर अभी भी ये शायद अधिकांश की नजरों से छुपे हुए है।
प्राचीन मूर्ति और प्रस्तर पर उकेरी गई कलाकृति
यहां एक खेत में पेड़ के नीचे प्राचीन और खूबसूरत नक्काशी के साथ मूर्ति और प्रस्तरों पर उकेरी गई मूर्तियां दिखाई देती है जो शायद अब तक लोगों की नजर से छुपी हुई है या इन पर ध्यान नहीं दिया गया जो वास्तव में खूबसूरती के साथ प्राचीनता का प्रमाण है।
शिलालेख और युद्ध के चित्रांकन
इतिहास से संबंधित पुस्तक में वर्णन के अनुसार यहां एक गांव के निकट ही पांच पत्थर के चीरे हैं। जो यहां अभी भी मौजूद है,उनमें युद्ध के चित्र अंकित हैं। दो में तो युद्ध की तिथि भी है, एक में संवत् ११९८ आश्विन बदी ११ शुक्रे लिखा है। पुस्तक के अनुसार उसमें यह लिखा है कि राष्ट्रकूट या राठौर राजा जयसिंह और किसी दूसरे राजा से लड़ाई हुई उसका यही कीर्ति स्तंभ है एवं अन्य जानकारियां भी विस्तार पूर्वक लिखी हुई है। इन लिखे और चित्रांकित प्रस्तरों पर उकेरी गई नक्काशी और लिपि बहुत ही खूबसूरत दिखाई देती है साथ ही इतिहास से परिचय भी करवाती है।
चट्टान पर पेंटिंग
पुस्तक के अनुसार गांव की सरहद पर एक गहरा नाला है यहाँ एक चट्टान है जिसमें रंग बिरंगे चौक पुरे हैं तथा और कई चित्र बने हैं। रंग गेरू का सा दीखता है पर छटाने से नहीं छूटता। जो आज भी दिखाई देते है। कुछ यूरोपीय पुरातत्व वेत्ताओं का कथन है कि ये चित्र उस जमाने के हैं जब मनुष्य जाति आदिम अवस्था में थी।
चट्टान की दरार से बहती झिर और झरने
कुछ दूरी पर एक और गांव के निकट चट्टान की दरार से सालभर बहती पानी की झिर देखने योग्य है जो आकर्षण के केंद्र के साथ ही एक धार्मिक स्थल भी है ग्रामीणों ने बताया कि यहां प्रतिवर्ष मेला भी भरता है, श्रद्धालु
और यहां की खूबसूरती को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते है,चट्टान की दरार से साल भर पानी झिरता रहता है जो गर्मियों में जंगली जीव जंतुओं के लिए बहुत उपयोगी साबित होता है।
ऊंचाई पर बने मंदिर से नीचे एक बड़े नाले और चट्टानों का नजारा भी देखने योग्य रहता है बारिश के मौसम में पहाड़, जंगलों और छोटे छोटे नालों से बहता हुआ पानी यहां बड़ी बड़ी चट्टानो से टकराने के बाद एक झरने का रूप ले लेता है जो बहुत सुंदर दिखाई देता है।
न्यूज स्रोत:धीरज जॉनसन