मुंबई: कहते हैं चमत्कार में यकीन करने वालों के साथ एक ना एक दिन चमत्कार जरूर होता है। दिवंगत पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला के माता-पिता के साथ भी एक चमत्कार हुआ है। सिद्धू मूसेवाला की हवेली एक बार फिर नन्हें बच्चे की किलकारी गूंज उठी।58 साल की उम्र में उनकी मां चरण कौर ने बेटे को जन्म दिया है। आज से दो साल पहले सिद्धू मूसेवाला की सरेआम हत्या कर दी गई थी।
बेटे की मौत के बाद बीते दो मूसेवाला फैमिली के लिए कितने मुश्किल भरे रहे, इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है पर अब फैमिली से गम के बादल छट चुके हैं। सिद्धू की कमी तो पूरी नहीं की जा सकेगी लेकिन उनके छोटे भाई के रूप में परिवार में फिर से खुशियां जरूर लौट आई हैं। इस पैकेज में पढ़े सिद्धू मूसेवाला के माता-पिता के कैसे गुजरे 2 साल..
सिद्धू मूसेवाला का जन्म
कहते हैं कि पंजाब के घर का हर बच्चा एक खास टैलेंट के साथ जन्म लेता है। 11 जून 1993 को पंजाब के मूसेवाला गांव में रहने वाले कपल चरण कौर और बलकौर सिंह के घर नन्हें बच्चे की किलकारी गूंजी जिसका नाम उन्होंने शुभदीप सिंह रखा। शुभदीप सिंह ने 28 साल की उम्र में उन्होंने अपनी गायिकी से पंजाबी इंडस्ट्री में बड़ा नाम कमा लिया था। वह शुभदीप से बन गए सिद्धू मूसेवाला। कम उम्र में उनके पास दौलत-शोहरत सब थी। कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते हुए उनके कई दुश्मन भी बनने लगे थे। इसी वजह से 29 मई 2022 को मशहूर पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की सरेआम हत्या कर दी गई थी। उनकी गाड़ी को घेरकर शूटर्स ने अंधाधुंध गोलियां चलाई थीं। ये शूटर लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ गैंग के थे।
इकलौते बेटे के निधन से टूटे माता-पिता मूसेवाला के मां-बाप का हुआ बुरा हाल सिद्धू मूसेवाला अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। इकलौते बेटे की मौत के बाद मां-बाप का क्या हाल हो जाता है इस चीज को शायद ही शब्दों में बयां किया जा सकता है। बेटे को खोने के बाद चरण कौर और बलकौर टूट कर बिखर गये थे। वो दर-दर बेटे की मौत के हत्यारों को सजा दिलाने की मांग करने लगे। सिद्धू मूसेवाला की मौत के दो साल बाद भी वो उस हादसे को भूला नहीं पा पाएं। शायद ही कभी इस गम को भुलाया जा सकेगा।
अकेलेपन दूर करने के लिए लिया माता-पिता बनने का फैसला
सिद्धू मूसेवाला की मौत के बाद उनके माता-पिता अकेले पड़ गए।उनके लिए जिंदगी का हर दिन भारी पड़ा रहा था जिंदगी का सूनापन दूर करने के लिए उन्होंने फिर से माता-पिता बनने का फैसला किया।
IVF के जरिए बनीं मां
58 साल की उम्र में नेचुरल तरीके से बेबी कंसीव करना मुश्किल है।रिपोर्ट्स के मुताबिक, चरण कौर और बलकौर ने दोबारा माता-पिता बनने के लिए IVF टेक्नोलॉजी का सहारा लिया।चरण कौर की डिलीवरी सुबह 5 बजकर 58 मिनट पर बठिंडा के सिविल हॉस्पिटल में हुई है। दो साल पहले जिन बलकौर-चरण कौर ने अपना बेटा खो दिया था। आज उनके घर छोटा सिद्धू आ चुका है।सच में ये मैजिकल मोमेंट है, जिसे सिर्फ जिया जा सकता है। इसके बारे में कुछ भी कहना कम है।