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इंटरनेट मीडिया पर साइबर स्टोकिंग,भुगतनी पड़ सकती है जेल की सजा

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बिलासपुर। एंड्रायड फोन चलाने वाले प्रत्येक यूजर्स की पहुंच सीधे इंटरनेट मीडिया में है। ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो इससे दूर हो या अछूता रह गया हो। इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर अगर आप समय बीता रहे हैं या ज्यादा से ज्यादा समय दे रहे हैं तब तो आप साइबर स्टोकिंग भी सुना ही होगा।

यह एक तरह से साइबर क्राइम की श्रेणी में आता है। तकनीकी रूप से देखें तो इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म में एक तरह से किसी का पीछा करने जैसा है। इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर ट्रोलिंग,छेड़छाड़ और आपत्तिजनक कमेंट्स भी होते हैं। यूजर्स को कई मर्तबे असहज स्थिति का सामना भी करना पड़ता है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता भावना सिंहदेव बताती हैं कि साइबर स्टोकिंग का सीधा मतबल होता है कि अवांछित रूप से लगातार किसी व्यक्ति या इंटरनेट यूजर्स से संपर्क करने का प्रयास करना। लगातार पीछा करना का नतीजा यह होता है कि पीड़ित व्यक्ति या यूजर्स भय महसूस करता है। स्तंत्रता के साथ इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर अपना विचार ना तो व्यक्त कर पाता है और ना ही खुलकर अपनी बात लिख ही पाता है। ऐसे यूजर्स को भय बना रहता है कि कहीं स्टोकिंग करने वाले पीछा ना कर रहे हों। इसके चलते यूजर्स की मानसिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ता है। इस तरह का बर्ताव करना,स्टोकिंग करना अपराध की श्रेणी में आता है। कानूनी रूप से सजा का प्रविधान भी किया गया है।

महिलाओं को विशेष अधिकार

अधिवक्ता भावना सिंहदेव बताती हैं कि वर्ष 2013 में साइबर स्टोकिंग पर प्रभावी रोकथाम के लिए संशोधन अधिनियम द्वारा भादवि की धारा 354 डी को शामिल किया गया है। इस संशोधन के बाद कमेटी ने प्रत्येक महिला को राइट टू सिक्योर स्पेस की बात कही है और कहा है कि प्रत्येक महिला को बिना किसी भय के सार्वजनिक स्थल का इस्तेमाल करने का अधिकार है। सार्वजनिक स्थल में इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म की बात भी कही गई है।

तीन से पांच साल तक जेल का प्रविधान

अधिवक्ता भावना सिंहदेव कानूनी प्रविधानों की चर्चा करती हुई बताती हैं कि अगर कोई व्यक्ति किसी महिला के अरुचि जताने के बाद भी व्यक्तिगत संपर्क को बढ़ावा देने के लिए बार-बार संपर्क करता है या संपर्क करने का प्रयास करता है या फिर किसी महिला यूजर्स के इंटरनेट ,ईमेल या इलेक्ट्रानिक संचार के किसी अन्य माध्यम की निगरानी करता है तो इसे अपराध की श्रेणी में रखा जा सकता है। अगर कोई व्यक्ति पहली बार अपराध करता है और दोषी ठहराया जाता है तो तीन वर्ष तक सजा का प्रविधान है। दूसरी बार दोषसिद्धी होने पर पांच साल की सजा भुगतनी पड़ सकती है। सजा के साथ जुर्माने का भी प्रविधान किया गया है। अधिवक्ता सिंहदेव बताती हैं कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के अंतर्गत साइबर स्टोकिंग के तहत कार्रवाई का प्रविधान किया गया है।

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