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संस्कृत भाषा में भारत की आत्मा बसती है -राज्यपाल श्री पटेल

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महर्षि पाणिनी संस्कृत वेदिक विश्वविद्यालय का तृतीय दीक्षान्त समारोह आयोजित

उज्जैन से हेमेंद्रनाथ तिवारी

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में दीक्षान्त उद्बोधन में कहा कि संस्कृत भाषा में भारत की आत्मा बसती है। संस्कृत ज्ञान को प्रचारित प्रसारित करना विश्व के कल्याण की दिशा में एक कदम है उन्होंने कहा कि संस्कृत ज्ञान विज्ञान की भाषा रही है। आर्यभट्ट,वराहमिहीर, सुश्रुत एवं चरक आदि ने अपने मूल्यवान ग्रंथों की रचना देव भाषा संस्कृत में ही की है। प्रतिवर्ष 21 जून को योग दिवस मनाया जाता है। विश्व में योग आयुर्वेद की लोकप्रियता निरंतर बढ़ रही है उन्होंने कहा कि संस्कृत जैसी प्राचीन भाषा में ज्ञान विज्ञान को संरक्षित करने का दायित्व पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय का है। हमारा देश विश्व को एक कुटुंब मानता है भारत के धर्म ग्रंथ विश्व के धर्म ग्रंथों के मूल में है। संस्कृत के पित्र, मातृ व भ्रात से ही फादर मदर व ब्रदर का जन्म हुआ है। राज्यपाल ने कहा कि हमें सभी क्षेत्रों में संस्कृत को लेकर जाना है। उन्होंने आज उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों से संस्कृत का प्रचार-प्रसार विश्व में करने का आह्वान किया तथा उन्हें बधाई दी। राज्यपाल ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय अपने पाठ्यक्रमों व शोध के लिए नवीन केंद्रों की स्थापना करने जा रहा है।
इसके पूर्व राज्यपाल मंगुभाई पटेल, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव, विधायक पारस जैन, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति श्रीनिवास वरखेड़ी, पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति विजय कुमार सी.जी., कुल सचिव डॉ.दिलीप सोनी, शोभायात्रा के साथ दीक्षान्त समारोह स्थल विक्रम कीर्ति मन्दिर के हॉल में पहुंचे। इसके बाद राज्यपाल एवं अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर दीक्षान्त समारोह का शुभारम्भ किया गया।
इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने कहा कि विक्रम की नगरी संस्कृत की शिक्षा के लिए जानी जाती है। जीवन में अमृत का संचार शिक्षा के माध्यम से ही होता है। सारे धन एक तरफ, विद्या एक तरफ, सबसे बड़ा धन विद्या ही है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 21वीं सदी भारत की होगी, भारत विश्व गुरु के रूप में स्थापित होगा ।

डॉ.यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश में सबसे पहले उच्च शिक्षा विभाग में नई शिक्षा नीति लागू की गई है। गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है। भगवान कृष्ण का उपदेश जन-जन तक पहुंचेगा। काशी विश्वनाथ की तरह उज्जैन में भगवान महाकाल का आंगन भी सज रहा है। उज्जैन नगरी भी काशी से पीछे नहीं रहने वाली है। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि देव भाषा संस्कृत में कई संभावनाएं छिपी हुई है। प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन व रिसर्च करने के लिए पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय को आवश्यक धनराशि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा उपलब्ध करवाई जाएगी।
विशेष अतिथि डॉ.आचार्य श्रीनिवास बरखेड़ी कुलपति संस्कृत विश्वविद्यालय नईदिल्ली ने अपने दीक्षान्त उद्बोधन में कहा कि संस्कृत भाषा तथा शास्त्र के संवर्धन तथा पोषण में महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वेदिक विश्वविद्यालय सर्वदा तत्पर है। उन्होंने कहा कि भारत में जितने भी प्रान्त की भाषाएं हैं, उनकी मातृ स्वरूपा संस्कृत पालि और प्राकृत भाषा है। उसमें भी संस्कृत भाषा एक विशिष्ट स्थान को धारण करती है। देवभाषा के रूप में अलंकृत संस्कृत ज्ञान-विज्ञान की भी जननी है। डॉ.वरखेड़ी ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भारत के इतिहास में संस्कृत का यह अत्यन्त महत्वपूर्ण समय चल रहा है। नवीन शिक्षा नीति में संस्कृत का प्रथम चरण में ही स्थान है। संस्कृत विश्वविद्यालय अनेक शास्त्रों वाले विश्वविद्यालय की तरह विद्या विवेक में निपुण छात्रों का निर्माण कर रहा है।


स्वागत भाषण देते हुए महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वेदिक विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य विजय कुमार सी.जी. ने कहा कि यह विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश का एकमात्र संस्कृत विश्वविद्यालय है, जिसके कार्यक्षेत्र की सीमा सम्पूर्ण मध्य प्रदेश है। इस विश्वविद्यालय से वर्तमान में नौ शासकीय एवं 11 अशासकीय महाविद्यालय संबद्ध है। विश्वविद्यालय के शैक्षणिक विभागों द्वारा उज्जैन की ऐतिहासिक धरोहरों को समझने के लिये हैरिटेज वॉक, वेधशालाओं के दर्शन प्रतिरूप निर्माण एवं प्रदर्शन वेदिक यज्ञ प्रयोग विधि आदि विविध क्रियात्मक एवं रचनात्मक कार्यों को किया जा रहा है।

उपाधि एवं पदकों का वितरण
राज्यपाल एवं कुलाधिपति मंगुभाई पटेल ने महर्षि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षान्त समारोह में नव-व्याकरण, शुक्र यजुर्वेद, संस्कृत साहित्य, भारतीय दर्शन ज्योतिष, आदि में 11 पीएचडी धारकों को उपाधियां एवं 34 विद्यार्थियों को मेडल प्रदान किये गये। स्नातकोत्तर छात्रों को उपाधि प्रदान की गई। कार्यक्रम का संचालन कुल सचिव डॉ.दिलीप सोनी ने किया । इस अवसर पर गणमान्य शिक्षाविद, जनप्रतिनिधि, छात्र आदि मौजूद थे।

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