प्रत्यक्षदर्शियों ने समझ लिया था अब नहीं बचा होगा
सुरेन्द्र जैन रायपुर
सांकरा निको सिलतरा।क्या आप कभी सोच भी सकते हैं कि एक तट से ग्रामीण चिल्लाते रहें मना करते रहें और दूसरे तट से युवक उफनते नाले में छलांग लगा दे ग्रामीण परिजन खोजें फिर भी न मिले और फिर 15 घन्टे बाद अचानक घर जीवित पहुच जाए वह भी ऐंसा युवक जिसकी दिमागी हालत ठीक न हो तो क्या यह किसी चमत्कार से कम नहीं।
दरअसल सांकरा पठारीडीह मार्ग पर पड़ने वाले चिखली स्थित नाले में 15 सितंबर को बाढ़ आई हुई थी 13 सितंबर से हुई झमाझम बारिश के बाद खारुन नदी में मिलने वाला यह नाला उफान पर था पुल के ऊपर लगभग 3 फीट से ज्यादा पानी आ गया था पानी का बहाब भी तेज था नाले के पूर्व दिशा के किनारे की हनुमानजी की मढ़िया भी जलमग्न हो चुकी थी मढ़िया का ऊपरी छत वाला भाग ही दिखाई दे रहा था कोई भी इतने तेज बहाब में निकलने की हिम्मत नहीं कर रहा था चिखली कुम्हारी कन्हरा की ओर जाने वाले सभी श्रमिक ग्रामीण सांकरा से टाटीबंध फोर लेन से कन्हरा होते हुए जा रहे थे लेकिन शाम लगभग 5 बजे चिखली के गोलू गोस्वामी नाले वाले मार्ग से पैदल चलते हुए घर जाने नाला किनारे पहुच गए
नाले को उफान पर देख वह किसी तरह हनुमान जी की मढ़िया पर चढ़ गए उधर दूसरे तट पर मौजूद गोलू के गांव चिखली के ग्रामीण गोलू को कूदने से मना करने लगे पानी का बहाब तेज है गोलू मत कूद लेकिन गोलू ने छलांग लगा दी ग्रामीण देखते रहे गोलू दिखाई नहीं दिया गोलू कर रायपुर में रहने वाले बड़े भाई और मां को सूचना दी गई वह चिखली आये उफनते नाले के किनारे से भाई को इधर उधर खोजा रात हो गई वह नही मिला अंततः ग्रामीण ओर परिजन यह सोचकर घर चले गए कि अब तो गोलू पानी मे डूब गया ।
15 घन्टे बाद प्रगट हुआ
गोलू मानसिक रूप से कमजोर है लेकिन हनुमानजी का भक्त है वह नाले में कूदने के बाद लापता हो गया ग्रामीण परिजन समझे कि अब शायद जीवित भी न हो लेकिन दूसरे दिन सुबह लगभग 7 बजे वह चिखली स्थित अपने घर पहुच गया यह देख बड़े भाई और मां की आंखों में खुशी के आंसू भर आये मां ने भाई ने गले लगाकर पूंछा डांटा क्यों कूदा नाले में रातभर कहाँ था गोलू बोला पानी के तेज बहाव में बह गया एक पेड़ का सहारा मिलने से रातभर उसी पर रहा पेड़ के चारो तरफ पानी था सुबह पानी कम हुआ तब पेड़ से उतरकर घर आया
ग्रामीण ओर परिजन सभी इसे हनुमान दद्दा का चमत्कार मान रहे हैं