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मध्य प्रदेश में किसी भी संवर्ग में बीस प्रतिशत से अधिक नहीं होंगे तबादले

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भोपाल। जिले के भीतर होने वाले तबादलों में विभाग किसी भी संवर्ग में बीस प्रतिशत से अधिक अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले नहीं कर सकेंगे। दो हजार से अधिक जिस संवर्ग में कर्मचारी हैं, उनमें अधिकतम पांच प्रतिशत ही तबादले किए जाएंगे। इसमें भी प्राथमिकता शिकायत, बीमारी और तीन साल से एक स्थान पर पदस्थ अधिकारियों के स्थानांतरण की रहेगी।

सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागाध्यक्ष, संभागायुक्त, कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को तबादला नीति जारी कर प्रविधान का पालन करने के निर्देश दिए हैं। नीति में प्रविधान किया है कि 201 से 2000 तक के संवर्ग में दस प्रतिशत से अधिक तबादले नहीं किए जाएंगे।

रिक्त पदों की सबसे पहले पूर्ति की जाएगी और अनुसूचित क्षेत्रों में तीन साल पूर्ण करने पर ही कर्मचारियों को हटाया जाएगा। जिन अधिकारियों-कर्मचारियों के विरुद्ध लोकायुक्त, आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ या पुलिस में आपराधिक प्रकरण दर्ज होंगे, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर स्थानांतरित किया जाए, जिससे जांच प्रभावित न हो।

जिले के भीतर पुलिस स्थापना बोर्ड द्वारा तबादले का निर्णय लिया जाएगा और पदस्थापना प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से होगी। तबादला करते समय इस बात का ध्यान भी रखना होगा कि चुनाव संबंधी कार्य प्रभावित न हों।

मंत्रियों ने कहा, राज्य संवर्ग के तबादले करने की अनुमति भी मिले

सूत्रों के अनुसार कैबिनेट बैठक में मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से राज्य संवर्ग के अधिकारियों के तबादले करने की अनुमति देने की बात रखी। मंत्रियों का कहना था कि विभाग के कुछ मैदानी अधिकारियों के तबादले आवश्यक हैं। स्थानीय स्तर से मांग भी आ रही हैं।

इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जो भी आवश्यक हों, उनकी सूची बनाकर दे दें, समन्वय से प्रक्रिया अनुसार तबादले कर दिए जाएंगे। इसमें कोई परेशानी नहीं है। वहीं, विद्यार्थियों को स्कूटी देने के प्रस्ताव पर चर्चा के समय मंत्रियों ने लोगो लगाने की बात कही। इसे मुख्यमंत्री ने स्वीकार करते हुए कहा कि अगले माह स्कूटी देने की व्यवस्था की जाए।

कर्मचारी मंच ने कहा, तबादला नीति का लाभ नहीं मिलेगा

उधर, कर्मचारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडे ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पूर्व के अनुसार तबादला नीति जारी करने की मांग की। उन्होंने कहा कि जिले के भीतर ही तबादला करने की व्यवस्था से कर्मचारी प्रताड़ित होंगे। अभी तक कर्मचारी अपने स्वास्थ्य, परिवारिक या अन्स समस्या के कारण तबादला एक से दूसरे जिले में कराता था लेकिन पहली बार है कि जिले के भीतर ही तबादले के लिए नीति जारी की गई है। स्थानीय व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए यह तो सतत प्रक्रिया है

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