जैन मंदिरोे मेें मना अभिनंदन भगवान का गर्भ व मोक्ष कल्याणक महोत्सव
रामभरोस विश्वकर्मा मण्डीदीप रायसेन
नकारात्मक सोच तोड़ती है, सकारात्मक सोच जोड़ती है। साधारण किस्म के लोग गिलास आधा खाली देखते हैं, समझदार लोग गिलास आधा भरा देखते हैं। ऊंचाई छूने वाले लोग गिलास पूरा भरा देखते हैं। ताड़ासन करके भी हम अपनी हाईट दो इंच से ज्यादा नहीं बढ़ा सकते, पर सोच को ऊंची उठाकर एवरेस्ट से भी ज्यादा ऊंचे हो सकते हैं। यह बात मुनि निर्णय सागर ने पटेल नगर स्थित महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में कही। उन्होंने कहा कि ईश्वर के घर से हम में से हर इंसान को एक बहुत बड़ी ताकत मिली है, वह है – सोचने-समझने की क्षमता। अपनी इस एक क्षमता के बलबूते इंसान संसार के समस्त प्राणियों में सबसे ऊपर है। हम सोच सकते हैं इसीलिए हम इंसान हैं। यदि हमारे जीवन से सोचने की क्षमता को अलग कर दिया जाए तो हमारी औकात किसी चौपाये जानवर से अधिक न होगी। उन्होने कहा कि आपकी सोच आपके विचारों को, विचार वाणी को, वाणी व्यवहार को, व्यवहार आपके व्यक्तित्व को प्रेरित और प्रभावित करता है। एक सुंदर और खूबसूरत व्यक्तित्व, व्यवहार, वाणी और विचारों का मालिक बनने के लिए अपनी सोच को ऊँची, सुन्दर और मंदिरों जैसी खूबसूरत बनाइए। उन्होंने कहा कि सोच को सुंदर बनाना न केवल अपने संबंध, सृजन और आभामंडल को सुंदर तथा प्रभावी बनाने का तरीका है बल्कि सुंदर सोच परमपिता परमेश्वर की सबसे अच्छी पूजा है। संतश्री ने कहा कि अच्छी सोच स्वयं ही एक सुंदर मंदिर है जहां से सत्यम शिवम सुंदरम का मन लुभावन संगीत अहर्निश फूटता रहता है। सोच अगर सुंदर है तो स्वर्ग का द्वार सदा आपके लिए खुला है। सोच के बदसूरत होते ही शैतान का हम पर राज हो जाता है। उन्होंने कहा कि एक अच्छी, सुंदर और सकारात्मक सोच स्वयं ही महावीर का समवसरण, बुद्ध का स्वर्ण-कमल, राम का रामेश्वरम और कृष्ण का वृंदावन धाम है। इस दौरान नगर के जैन मंदिरो में अभिनंदन भगवान का गर्भ कल्याणक तथा मोक्ष कल्याणक महोत्सव मनाया गया। और निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रदालु मौजूद रहे।