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मुख्यमंत्री दुधारू पशु प्रदाय योजना में बड़ा गोलमाल,आदिवासियों को आई भैंसें आदिवासियों की जगह दबंगों को दिला रहे थे अधिकारी

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आदिवासी बनकर बीओ के साथ पहुंचे दबंग, संजय बेचैन को देख उलटे पैर भागे

-पशुपालन विभाग से आदिवासियों को 90% अनुदान पर दो-दो भैंसे दी जाना थीं

शिवपुरी ।सरकारी योजनायें बनती तो गरीबों के उत्थान के नाम पर हैं पर उनका असली लाभ आज भी सिस्टम पर हावी दबंग और बाहुबली ले रहे हैं . आज “मुख्यमंत्री दुधारू पशु प्रदाय कार्यक्रम’’ के तहत सहरिया आदिवासियों के नाम पर दबंगों को लाभान्वित करने के अपवित्र मंसूबों को सहरिया क्रांति कार्यकर्ताओं की सक्रियता से समय रहते पकड़ा गया . जिला कलेक्टर ने मामले को गम्भीरता से लेकर जिम्मेदार अधिकारीयों पर कार्यवाही की बात कही है. संजय बेचैन की सक्रियता से सहरिया आदिवासियों के हितों पर एक बार फिर पलीता लगने से बच गया।

जानकारी अनुसार प्रदेश सरकार ने “मुख्यमंत्री दुधारू पशु प्रदाय कार्यक्रम’’ के रूप में योजना को लागू किया है। इस योजनान्तर्गत हितग्राही की मंशा अनुसार दुधारू गाय के अलावा भैंस भी प्रदाय की जा रही है । कार्यक्रम का लाभ विशेष पिछड़ी जनजाति सहरिया को मिलना है । इन जनजातियों की कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए हितग्राही अंशदान की राशि 25 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत कर दी गई है । इस योजना पर सिस्टम पर हावी बाहुबलियों की नजर पड़ गई और आज शिवपुरी जिले में दबियाकला गाँव के सहरिया आदिवासियों के नाम से 90 प्रतिशत अनुदान वाली भेंसे लेने पिछोर खनियाधाना के दबंग समुदाय के लोग खनियाधाना बीओ के साथ आ गए। वे आदिवासी बनकर भेंसों को लोडिंग वाहन में चडाते उससे पहले ही सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन के साथ क्रांति कार्यकर्ता जा पहुंचे . जहां इन्होने आदिवासियों की कतार में बैठकर स्वयं को आदिवासी बता रहे 4 अन्य दबंग समाज के युवकों को पकड़ा. वे अपने जाति और नाम को छुपाकर स्वयं को आदिवासी हितग्राही बताकर नाम भी उन हितग्राही के बता रहे थे जिन्हे आज भैस प्रदाय की जाना थीं .उनकी पेरवी खनियाधाना बीओ करते हुए बोल रहे थे चाहे ये ले जाएँ चाहे आदिवासी क्या फर्क पड़ता है भेंसे तो इनके घर ही पहुंचेंगी . इस मामले की जानकारी सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन ने जिला कलेक्टर को दी तो उन्होंने उपसंचालक पशु को तत्काल कार्यवाही के निर्देश दूरभाष पर दिए जिसके बाद उपसंचालक पशुपालन डॉ तमोरी ने खनियाधाना बीओ लोकेन्द्र यादव को नोटिस जारी किया है. साथ ही चारों फर्जी हितग्राहियों को भैंस वितरित करने से रोक लिया।

यह है योजना
वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 के लिये 750-750 गाय-भैंस प्रदाय का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिये 29 करोड़ 18 लाख रूपये का प्रावधान किया गया है। शिवपुरी जिले को 144 भेंस प्रदाय का लक्ष्य है . गाय प्रदाय के लिये एक लाख 89 हजार 250 रूपये और भैंस के लिये 2 लाख 43 हजार रूपये की राशि निर्धारित की गई है। गौ प्रदाय में एक लाख 70 हजार 325 रूपये शासकीय अनुदान और शेष 18 हजार 925 रूपये हितग्राही अंशदान होगा। भैंस प्रदाय में 2 लाख 18 हजार 700 रूपये का शासकीय अनुदान और मात्र 24 हजार 300 रूपये हितग्राही का अंशदान होगा। कार्यक्रम का उद्देश्य दुग्ध उत्पादन और पशुओं की दुग्ध उत्पादक क्षमता में वृद्धि, रोजगार के नवीन अवसर द्वारा हितग्राहियों की आर्थिक स्थिति में सुधार और उच्च उत्पादक क्षमता के गौ-भैंस वंशीय पशुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। विशेष पिछड़ी जनजाति सहरिया जनजाति के लिये ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, श्योपुरकला, मुरैना और भिण्ड जिले में कार्यक्रम क्रियान्वित होना है ।
*यहाँ क्या हो रहा है*
शिवपुरी जिले में अति गरीब सहरिया समुदाय के जिन व्यक्तियों के प्रस्ताब कई जनपदों से भेजे गए वे कुछ ऐसे आदिवासियों के थे जो दबंगों के यहाँ बंधुआ सी जिन्दगी जी रहे हैं .आदिवासियों को मिलने वाली इस लाभकारी योजना में उन्ही के प्रस्ताव भेजे गए जो सहरिया आदिवासी दबंगों के प्रभाव में हैं . कल्याण आदिवासी ने बताया कि जो आदिवासी पशुपालन करते हैं उनके नाम के प्रस्ताव तक बनाकर नहीं भेजे गए . मामला साफ था कि नाम आदिवासियों का और लाभ दबंगों को . मुख्यमंत्री दुधारू पशु योजना में दबंग पशुपालकों ने जनपदों में जुगाड़ लगाकर अपने मतलब के आदिवासियों के नाम दर्ज करा लिए और सहरिया आदिवासियों से तय कर लिया कि कागज तेरे लगेंगे मगर भेंस हम रखेंगे इसके एवज में किसी को तीन हजार तो किसी को 5000 तक का लालच परोसा गया. कुछ भोले भाले सहरिया आदिवासी इनके फरेब में आ गए और सहमती दे दी . आज सहरिया क्रांति कार्यकर्ताओं को भैंस वितरण के कार्य में गोलमाल की शिकायत प्राप्त हुई तो संजय बेचैन के साथ आदिवासी युवा मौके पर जा पहुंचे और वहां पर आदिवासियों की जगह गाँव के दबंग फर्जी लोग स्वयं को आदिवासी बता रहे थे जिनकी पोल खुलते ही वे भाग खड़े हुए

**इनका कहना है*
यह सही है की खनियाधाना से दबिया कलां से घूमन आदिवासी ,बंशी आदिवासी ,गिरवर आदिवासी एवम कुंजीलाल आदिवासी हितग्राहियों के स्थान पर अन्य चार व्यक्ति भैंस लेने आये और स्वयं के नाम उन्ही आदिवासियों के बताकर कतार में बैठ गए जिन्हे सब्सिडी पर भैंस मिलना थी . सहरिया क्रांति कार्यकर्ताओं के प्रयास से वे सफल नहीं हो पाए . इस लापरवाही पर खनियाधाना बीओ को तत्काल नोटिस जारी किया जा रहा है साथ ही अब उक्त चारों को भैंस वितरित नहीं की जाएगी
उप संचालक पशुपालन विभाग डॉ एमसी तमोरी

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